अणुव्रत की अनुपस्थिति से बीरभूम में कमजोर पड़ी टीएमसी (TMC)
उन्हीं के करीबी विप्लव ओझा ने छोड़ा टीएमसी का हाथ, बीजेपी में हुए शामिल
कोलकाता/बीरभूम। पश्चिम बंगाल में अगले साल 2023 में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को बड़ा झटका लगा है। मवेशी तस्करी मामले में जेल में बंद बीरभूम जिले के अध्यक्ष अणुव्रत मंडल के करीबी माने जाने वाले विप्लव ओझा टीएमस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गये।
ओझा ने मंगलवार की सुबह टीएमसी से इस्तीफा देने का ऐलान किया था लेकिन इसके बाद ओझा ने इस दिन शाम को टीएमसी से इस्तीफा देकर बीजेपी का झंडा थाम लिया।
बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की नलहाटी में हुई जनसभा में विप्लव ओझा बीजेपी में शामिल हो गये। सभा में शुभेंदु अधिकारी ने विप्लव ओझा को बीजेपी का का झंडा थमाया। उनके औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया।
बता दें कि मवेशी तस्करी मामले में तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिला अध्यक्ष अणुव्रत मंडल अभी जेल में बंद हैं। अणुव्रत की गिरफ्तारी के बाद से बीरभूम जिले में टीएमसी का राजनीतिक प्रभाव कमजोर पड़ता दिख रहा है। ऐसी स्थिति में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले जिले में टीएमसी को विप्लव का बीजेपी में शामिल हो जाने से फिर झटका लगा है।
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विप्लव ने टीएमसी के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए आरोप लगाया कि उनकी पार्टी में लगातार एक साल से अवहेलना की जा रही है। ओझा ने कहा कि उनके लिए इस तरह से लंबे समय तक पार्टी में रहना संभव नहीं है। इसलिए वह टीएमसी से इस्तीफा दे रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक टीएमसी से इस्तीफा देने की घोषणा करने वाले विप्लव ओझा को बीजेपी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया था। आपको बता दें कि विप्लव ओझा ने वर्ष 2009 में कांग्रेस छोड़कर टीएमस का हाथ थामा था। उस समय ओझा नलहाटी नगर पालिका के अध्यक्ष थे। लेकिन उनके पार्टी छोड़ने के बाद इस पालिका पर टीएमसी का कब्जा हो गया।
ओझा वर्ष 2012 तक उस नगर पालिका के अध्यक्ष बने रहे। उसके बाद विप्लव नलहाटी विधानसभा से भी टीएमसी प्रत्याशी थे। बाद में पार्टी ने उन्हें संगठन का जिला उपाध्यक्ष बनाया लेकिन अब विप्लव ने टीएमसी से नाता तोड़ने का ऐलान किया है।