अमित शाह के सामने ही सीएम ममता और बीएसएफ अधिकारियों के बीच हुई बहस

कई मुद्दों पर हुई चर्चा

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कोलकाता : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को पूर्वी क्षेत्रिय सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्रियो ने भी हिस्सा लिया। जिसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव वहीं ओडिशा के मंत्री प्रदीप कुमार समेत तुषार कांति बेहरा शामिल रहे। यह बैठक लगभग 2.30 घंटे से ज्यादा चली। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई है। खासकर बार्डर सुरक्षा से जुड़े मामले पर। इसी दौरान एक वक्त ऐसा भी आया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीएसएफ के अधिकारियों के बीच अनबन हो गई। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि बीएसएफ की ओर से सहयोग नहीं मिल रहा है।

सीएम ममता और बीएसएफ अधिकारियों के बीच हुई बहस

सीएम ममता बनर्जी और बीएसएफ के अधिकारियों के बीच की बहस गृहमंत्री अमित शाह के सामने ही हुई है।  ईस्टर्न जोन में आने वाले राज्यों में सिर्फ बंगाल ही एकमात्र ऐसा राज्य है जिसकी सीमा बांग्लादेश से लगती है। इस बार्डर से घुसपैठ और तस्करी की कई खबरें आती रहती हैं। इन्हीं सब मामलों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक कर दिया। इसको लेकर तमाम विपक्षी दलों ने केंद्र की मंशा पर सवाल उठाए थे। ममता बनर्जी उन मुख्यमंत्रियों में शामिल थीं जिन्होंने सबसे ज्यादा विरोध किया था। इसके बाद से सीएम ममता और टीएमसी के कई नेता बीएसएफ पर आरोप लगाते रहे हैं। अब जब गृह मंत्री अमित शाह, बीएसएफ अधिकारी और सीएम ममता आमने-सामने बैठक में थे तो यह मुद्दा उठना लाजिमी था।

और भी मुद्दों पर हुई चर्चा

नबान्न सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार ममता बनर्जी ने गौ तस्करी और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र पर भी चर्चा की है।  इसके अलावा डीवीसी के पानी को लेकर प्रत्येक वर्ष पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड सरकार के बीच विवाद रहता है। बैठक में ममता बनर्जी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा है कि कितना पानी छोड़ा जाएगा इसकी जानकारी हमारी सरकार को पहले से दी जाय ताकि हम लोग पहले से सतर्क रहें।

हेमंत सोरेन ने भी रखी बात

वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने पूरे देश के करीब 20 करोड़ आदिवासी एवं वनों में पीढ़ियों से निवास करने वाले लोगों के अधिकारों पर अतिक्रमण को लेकर बात की। उन्होंने मांग की कि उन आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा हेतु वनाधिकार अधिनियम 2006 के अनुरूप संशोधन किया जाए।