मणिपुर : मणिपुर में लगातार हिंसा के बीच अब रणनीति में कुछ बदलाव किए गए हैं। अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न बलों की टुकड़ियों की बजाय एक बल की एक टुकड़ी एक ही स्थान पर तैनात होंगी। कुछ जिलों में सैन्य तैनाती के लिए यह रणनीति अपनाई जाएगी। सेना कुछ इलाकों में बफर जोन स्थापित करेगी जिससे घाटी के लोगों को पहाड़ी में जाने या फिर पहाड़ी के लोगों को घाटी में आने से रोका जा सकेगा।
जानकारी के अनुसार इंफाल और पश्चिम कांगपोकपी सीमा पर गुरुवार को फिर हिंसा भड़की जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। पिछले दिनों से यहां लगातार आगजनी हो रही थी। जवानों की तैनाती के बावजूद लोग आगजनी में जुटे थे। बताया जा रहा है कि जवानों के बीच ठीक तालमेल न होने की वजह से भी आगजनी-हिंसा पर लगाम नहीं लगाया जा सका। इसके बाद यह तय किया गया कि एक स्थान पर एक ही टुकड़ी की तैनाती हो। इससे को-ऑर्डिनेशन स्थापित करने में आसानी होगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इससे कमांड और कंट्रोल में आसानी होगी। लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट आसान होगा। इसका अर्थ ये है कि अगर बिष्णुपुर और चुराचांदपुर में बीएसएफ की तैनाती होती है, तो इस क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी इसी की होगी। अगर किसी तरह का कोई चूक भी होता है तो उसके लिए सिर्फ बीएसएफ ही जिम्मेदार होगा। अभी हालत ये है कि ज्यादा समय को-ऑर्डिनेशन में ही चला जाता है।
बताया जा रहा है कि मणिपुर में 40 हजार केंद्रीय बल तैनात हैं। इनमें असम राइफल्स, भारतीय सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ और आईटीबीपी शामिल हैं। किसी भी खतरे वाले इलाकों में इन अलग-अलग विंग के जवानों की एक टुकड़ियां बनाकर तैनात की गई है यानी की अगर मोइरांग में सेना की तैनाती है तो कुछ किलोमीटर दूर टोरबंग में असम राइफल्स की तैनाती है। इस बीच बीएसएफ और सीआरपीएफ की तैनाती भी देखी जा सकती है।