असम सरकार ने लिखा पत्र उनके मुख्यमंत्री पर होने वाले खर्च का हेमंत सरकार बिल भेज दे,असम सरकार करेगी भुगतान, जानिए दो राज्यों के बीच का यह पत्राचार

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रांची: भारत एक संघ है. यहां पर राज्य का भी अपना महत्व है. राज्यों के बीच प्रोटोकॉल आधारित मधुर संबंध होते हैं. एक प्रोटोकॉल बना हुआ है.एक राज्य का मुख्यमंत्री अगर दूसरे राज्य में जाता है तो उसे स्टेट गेस्ट यानी राजकीय अतिथि का दर्जा दिया जाता है.इधर झारखंड में असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा लगातार आ रहे हैं क्योंकि झारखंड विधानसभा के वे सह प्रभारी हैं. इसलिए उनका लगातार यहां प्रवास हो रहा है. इस पर झारखंड सरकार का भी खर्च हो रहा है. यह प्रोटोकॉल के तहत किया जाता है.लेकिन राज्य में सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने हिमंता विश्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के झारखंड प्रवास पर होने वाले खर्च का विषय उठाया था.यह कहा गया कि ये लोग पार्टी के काम से आते हैं लेकिन राज्य सरकार को इसका खर्च उठाना पड़ता है जिससे खजाने पर बोझ बढ़ रहा है. पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा ने पिछले दिनों कहा था कि झारखंड सरकार उनके ऊपर जो भी खर्च हो रहा है उसका बिल भेज दे असम सरकार उसका भुगतान कर देगी.

 

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असम सरकार ने झारखंड के डीजीपी को लिखा पत्र

इस मामले में असम के मुख्यमंत्री के निर्देश पर असम सरकार के स्पेशल ब्रांच के अपर पुलिस महानिदेशक हीरेन नाथ ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह को पत्र लिखा है. जानकारी के अनुसार असम के स्पेशल ब्रांच अपने मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा की सुरक्षा का वर्णन करते हुए बताया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी गई है और सीआरपीएफ की सिक्योरिटी कवरेज उन्हें मिली हुई है. इस पत्र में कहा गया है कि असम के मुख्यमंत्री झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के सह प्रभारी हैं इसलिए उनका आना-जाना वहां लगातार होता रहेगा. झारखंड सरकार का जो भी खर्च उनके प्रोटोकॉल के तहत होता है उसका बिल भेजने को कहा गया है असम सरकार के इस पत्र में कहा गया है कि झारखंड सरकार जो भी पैसा उनके मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा पर खर्च करती है,उसका भुगतान असम सरकार कर देगी. संभवत देश में यह पहला मामला होगा जब इस तरह का प्रसंग आया है. भारत की संस्कृति में वसुदेव कुटुंबकम का संस्कार है. जो भी हमारे यहां आता है हम उसे अतिथि मानते हैं.उसकी सेवा सत्कार करते हैं लेकिन यह प्रसंग कहीं ना कहीं सवाल खड़ा करता है.