ब्यूरो रांची : उत्तर प्रदेश में एक पुलिस स्टेशन ऐसा भी है, जहाँ थानेदार की कुर्सी पर आज तक कोई अफसर बैठने की गुस्ताखी नहीं कर सका है। दरअसल, वाराणसी के एक थाने में थानेदार की कुर्सी पर बीते कई वर्षों से बाबा काल भैरव अपना आसन लगाए विराजमान हैं। अफसर, उनके बगल में कुर्सी लगाकर बैठते हैं। बता दें यहां पर बाबा के लिए टेबल, कुर्सी और टोपी भी मौजूद है। बाबा काल भैरव की नगरी, काशी में बाबा को ही कोतवाल कहा जाता है। इतना ही नहीं, यहां की पूरी की पूरी व्यवस्था भी बाबा काल भैरव ही संचालित करते हैं। बता दें कि बिना उनकी अनुमति के यहां परिंदा भी पर नहीं मारता और अगर किसी से कोई पार हो जाए, तो उसका दंड भी यहीं पर देते हैं।
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काशी में कोतवाली थाने में लगी मेन चेयर पर थानेदार नहीं, बाबा काल भैरव विराजमान होते हैं। उनके ठीक बाजू में प्रशासनिक कोतवाल बैठते जरूर हैं, लेकिन वो भी बाबा के भरोसे पर ही चलते हैं। बताया जाता है कि कहा जाता है कि 1715 में बाजीराव पेशवा ने खुद यहां बाबा काल भैरव का मंदिर बनवाया था। जब भी कोई नया अधिकारी यहां आता है वो बाबा के दरबार में हाजिरी जरूर लगाता है. मान्यता है कि बाबा काल भैरव को यह अधिकार बाबा विश्वनाथ के द्वारा दिया गया है। इसना ही नहीं, बिना इनके आशीर्वाद के काशी नगरी में रहना मुश्किल है। ऐसी मान्यता है कि बाबा भैरव के इस पावन दरबार से कभी कोई अन्याय नहीं होता। बताया जाता है कि कोतवाली एरिया में ही बाबा भैरव अपने धाम में विराजमान हैं। थाने में यह परंपरा है कि बाबा की पूजा रोजाना होती है। यहां के थानेदार रोज बाबा काल भैरव का आशीर्वाद लेने के बाद ही बगल वाली कुर्सी पर बैठते हैं।