बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले में हाइकोर्ट में हुई सुनवाई

विधानसभा ने कहा हाइकोर्ट को मामले को सुनने का पावर नहीं

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रांची : भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की ओर से दलबदल मामले में स्पीकर के न्यायाधिकरण में फैसला सुरक्षित रखे जाने के खिलाफ दायर याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई।

विधानसभा की ओर से कहा गया कि बाबूलाल मरांडी की ओर से दाखिल रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। यह भी कहा गया कि हाइकोर्ट को इस मामले को सुनने का पावर नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायादेश के आलोक में इस याचिका पर हाइकोर्ट की ओर से कोई आदेश पारित करना उचित नहीं है। यह भी कहा गया की किसी राजनीतिक दल का विलय करना या न करना यह विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है। मामले में सुनवाई जारी रही।

गुरुवार को फिर मामले की सुनवाई होगी। झारखंड विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय हेगड़े और झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता अनिल कुमार ने पैरवी की।

पूर्व की सुनवाई में विधानसभा की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि अभी इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण की ओर से कोई जजमेंट पास नहीं हुआ है। प्रार्थी के पक्ष में भी फैसला आ सकता है।

इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। वहीं प्रार्थी की ओर से कहा गया था कि बिना गवाही कराये ही स्पीकर के न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रखा है।

स्पीकर के न्यायाधिकरण में बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव के मामले में अलग-अलग तरीके से सुनवाई हो रही है, जो अनुचित है। यह सुनवाई हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट में हुई। प्रार्थी की ओर वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह और अधिवक्ता विनोद कुमार साहू ने पैरवी की।

रिट याचिका में कहा गया है कि स्पीकर ने नियम संगत सुनवाई नहीं की है। स्पीकर के न्यायाधिकरण में संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत सुनवाई में भेदभाव हो रहा है। गवाही खत्म होने के बाद उन्हें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया है। 30 सितंबर को सुनवाई खत्म कर ली गई है।

फैसला कभी भी सुनाया जा सकता है। यहां उल्लेखनीय है कि बाबूलाल मरांडी वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झाविमो उम्मीदवार के रूप में जीते थे लेकिन उसके बाद उन्होंने जेवीएम का विलय भाजपा में कर दिया था। जिसे लेकर उनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष दल बदल का मामला दर्ज किया गया है।

 

 

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