एक बैंकर, जो पहले विधायक बनी फिर सांसदी छिनी

जानिए महुआ मोइत्रा के बारे में सब कुछ

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कोलकाता, सूत्रकार : टीएमसी की नेता महुआ मोइत्रा अब सांसद नहीं रहीं। कैश फॉर क्वेरी के मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद की सदस्यता समाप्त कर दी गई। सदन ने ध्वनिमत से महुआ मोइत्रा की सदस्यता खत्म करने के एथिक्स कमेटी के फैसले पर मुहर लगा दी। महुआ अपने 14 साल के राजनीतिक सफर में सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही हैं। एक इन्वेस्टर्स बैंकर से सांसद के सफर में महुआ मोइत्रा ने कई-उतार चढ़ाव देखे। संसद में अपने भाषणों के लिए वह काफी चर्चित भी रहीं। कैश फॉर क्वेरी का मामला ऐसा फंसा, जिसने उनकी संसद की पहली पारी को पांच महीने पहले ही खत्म कर दिया।
कैश फॉर क्वेरी मामला क्या है
बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था। अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने रियल एस्टेट कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के व्यवसायिक हितों की रक्षा के लिए सवाल पूछे। उनका आरोप था कि महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी के इशारे पर 61 सवालों में 50 में अंबानी और अडानी को टारगेट किया।

लोकसभा अध्यक्ष ने यह मामला एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया। बीजेपी सांसद विनोद सोनकर की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमेटी ने इसकी जांच शुरू की तो बवाल बढ़ता गया। महुआ मोइत्रा ने संसदीय कमेटी पर अनर्गल सवाल पूछने के आरोप भी लगाए।

मामला तब बिगड़ गया, जब पूछताछ में कारोबारी दर्शन हीरानंदानी ने खुलासा किया कि महुआ मोइत्रा ने अपनी संसद लॉगिन और पासवर्ड उनके साथ साझा किया था। उन्होंने महुआ की ओर से सवाल पोस्ट किए थे। एथिक्स कमेटी ने 6-4 के बहुमत से महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म करने की सिफारिश कर दी।
काफी चर्चित रही हैं महुआ मोइत्रा
47 साल की महुआ मोइत्रा का राजनीति सफर भी दिलचस्प रहा है। हाल ही में वह कांग्रेस सांसद शशि थरूर के साथ निजी फोटो वायरल होने के कारण भी चर्चित रहीं। राजनीति में एंट्री से पहले वह न्यूयॉर्क और लंदन में जेपी मॉर्गन चेज में इन्वेस्टमेंट बैंकर थीं। उन्होंने 2008 में राहुल गांधी से प्रभावित होकर जेपी मॉर्गन की वाइस प्रेजिडेंट पद से त्यागपत्र दे दिया और पॉलिटिक्स में एंट्री ली।

यूथ कांग्रेस से सियासी यात्रा शुरू करते हुए वह 2010 में तृणमूल कांग्रेस में पहुंच गईं। 2016 में महुआ अपने भाषणों और जुझारू व्यक्तित्व के कारण सीएम ममता बनर्जी की करीबी बन गईं। ममता बनर्जी ने 2016 के विधानसभा चुनाव में उन्हें करीमपुर से उतारा।

उन्होंने बीजेपी के कल्याण चौबे को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचीं। 2019 में टीएमसी ने उन्हें कृष्णानगर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। एक बार फिर उन्होंने बीजेपी नेता कल्याण चौबे को 64 हजार वोटों से हरा दिया। सांसद महुआ को आईटी कमेटी का सदस्य बनाया गया।
15 साल की उम्र में चली गई थीं अमेरिका
महुआ मोइत्रा मूल रूप से बंगाली ब्राह्मण परिवार की हैं। कोलकाता में शुरुआती पढ़ाई के बाद महुआ का परिवार अमेरिका में सेटल हो गया। मैसाचुसेट्स से मैथ्स और इकनॉमिक्स में ग्रैजुएशन के बाद महुआ मोइत्रा ने बैंकर के तौर पर अपना कैरियर शुरू किया। वह जेपी मॉर्गन की वाइस प्रेजिडेंट भी रहीं। इस दौरान वह कुछ समय तक डेनमार्क में भी रही।

उनके पूर्व पति लार्स ब्रोरसन भी डेनिश थे। कैश ऑफ क्वेरी विवाद के बीच टीएमसी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है। उन्हें नादिया जिले का प्रभारी बनाया गया है। 2024 के चुनाव में पार्टी फिर उन्हें लोकसभा का टिकट देगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है।

टीएमसी समर्थकों का मानना है कि कैश फॉर क्वेरी विवाद से महुआ को राजनीतिक लाभ मिल सकता है, क्योंकि वह बीजेपी के खिलाफ मुखर हैं।