कोलकाताः बंगाल सरकार पर केंद्र द्वारा राज्य की विभिन्न योजनाओं में मंजूर लगभग 2 लाख 30 हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है।
इस आरोप पर कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में सीबीआई जांच की मांग की गयी है लेकिन राज्य सरकार ने सीबीआई जांच का विरोध किया है।
सूत्रों के मुताबिक, आरोप है कि बंगाल सरकार ने केंद्र द्वारा विभिन्न योजनाओं के लिए मंजूर लगभग 2 लाख 30 हजार करोड़ रुपये में हेराफेरी की है।
इस आरोप के साथ कैग रिपोर्ट के आधार पर इस साल जनवरी में हाईकोर्ट में राज्य सरकार के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें 31 मार्च 2021 की कैग रिपोर्ट में विसंगति का जिक्र है।
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हाईकोर्ट में दायर याचिका में सीबीआई जांच की मांग की गयी है। इस याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दिन राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि कैग रिपोर्ट राज्यपाल के पास जा चुकी है। वहां से यह विधानसभा भेजी गयी।
इसके बाद लोक लेखा समिति (पीएसी) में इस पर चर्चा भी हुई। यहां खर्च पर अभी भी चर्चा चल रही है। इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकती है। इस पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने पूछा कि राज्य के पीएसी में क्या होगा, इसके लिए अदालत को इंतजार करना पड़ेगा ? या अदालत समय सीमा तयकर सीधे वहां से रिपोर्ट मांगेगी ?
दूसरी ओर, सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि अदालत के निर्देश पर जांच करने के लिए तैयार है। सीबीआई इसकी जांच करेगा कि कहीं कोई वित्तीय अनियमितता हुई है या नहीं।
मामले की अगले सप्ताह फिर सुनवाई होगी। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट में दायर जनहित मामले में शिकायतकर्ताओं में प्रदेश भाजपा महासचिव जगन्नाथ चटर्जी, याचिकाकर्ताओं में वकील सुमनशंकर चट्टोपाध्याय और सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी ऋत्विक पाल शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि राज्य ने साल 2011 से 2016 तक केंद्रीय निधि व्यय का कोई उपयोग प्रमाण पत्र (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट) प्रकाशित नहीं किया है।
बाद के वर्षों के प्रमाण पत्र मार्च 2022 में एक साथ जारी किया गया था। हालांकि नियमानुसार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट हर वित्तीय वर्ष में प्रकाशित होना चाहिए।