कोलकाताः आवास परियोजना में बंगाल ने उत्तर प्रदेश और गुजरात को पछाड़ दिया है। नवान्न सूत्रों के मुताबिक इस योजना में मात्र 3 प्रतिशत ही काम बाकी है।
उन लोगों ने बताया कि अगर इस अवधि को 31 मार्च तक कर दिया जाए तो वे कार्य भी पूरे हो जाएंगे। यहां बता दें कि मकान बनाने की स्वीकृति की समय सीमा समाप्त हो गई है।
मंगलवार की रात 12 बजे तक फाइनल अप्रूवल का काम हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि जो 3 प्रतिशत काम बाकी है, उनमें अधिकांश के पास भूमि नहीं है।
उन लोगों ने बताया कि छानबीन करने के बाद पता चला है कि बिहार में सबसे ज्यादा मकान स्वीकृतियां लंबित हैं। उसके बाद कर्नाटक, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और असम।
इसके साथ यह भी सामने आया है कि कई बीजेपी शासित राज्यों में हाउस अप्रूवल देने में पश्चिम बंगाल से काफी पीछे हैं। केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने निश्चित रूप से स्वीकृत मकानों में कोटा पूरा कर लिया है।
प्रदेश में आवास योजना के तहत 11 लाख 36 हजार 488 आवासों का निर्माण किया जाना है। केंद्र ने बताया कि 31 जनवरी तक मकानों की मंजूरी का काम पूरा कर लिया जाए।
उसके बाद कोई नया मकान स्वीकृत नहीं किया जा सकता है। इसी तरह 31 जनवरी की रात 12 बजे केंद्र की प्रधानमंत्री आवास योजना का पोर्टल बंद कर दिया गया। नवान्न के अधिकारियों का कहना है कि राज्य की स्वीकृत शेष 3 प्रतिशत में से अधिकांश के पास जमीन नहीं है। अधिकारियों ने यह भी दावा किया है कि केंद्रीय टीम अनियमितता की शिकायत लेकर बार-बार प्रदेश आती है।
वह कई जिलों में घर-घर गए लेकिन अभी तक कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं मिली है। आवास का काम पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ा है। पिछले सात दिनों में पंचायत विभाग की ओर से 12 हजार से अधिक आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं।
पंचायत विभाग के अधिकारियों ने घर-घर जाकर उन लोगों की समस्याओं का समाधान किया, जिनका अनुमोदन कुछ छोटी-मोटी समस्याओं के कारण रुका हुआ था। फिर देखा जाता है कि करीब 3 फीसदी अनुमोदन बाकी है।