DA आंदोलन में शामिल कर्मचारियों पर CM ममता का आरोप बेबुनियादः भास्कर घोष

यह बात राज्य के सरकारी कर्मचारियों के संयुक्त मंच ने कही

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कोलकाता :  बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का यह आरोप निराधार है कि पिछले वाम मोर्चा शासन के दौरान अवैध रूप से नौकरी पाने वाले राज्य सरकार के कर्मचारी बकाया महंगाई भत्ते (डीए) का आंदोलन कर रहे हैं। यह बात राज्य के सरकारी कर्मचारियों के संयुक्त मंच ने कही।

संयुक्त मंच संयोजक भास्कर घोष ने कहा, मुख्यमंत्री का आरोप निराधार है। क्या वह अपने आरोपों को साबित कर पाएंगी ? यदि वह कर सकती हैं, तो हम राज्य सरकार के कर्मचारियों की ओर से उसका सम्मान करेंगे। यदि वह नहीं कर सकती हैं, तो उन्हें नतीजों का सामना करना पड़ेगा।

वहीं, एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा कि अगर उसे अवैध रूप से नौकरी मिली होती, तो वह अपने वैध बकाया की मांग को लेकर आंदोलन करने वालों में शामिल होने के बजाय तृणमूल कांग्रेस के मंच पर बैठ जाती।

प्रदर्शनकारियों ने कहा, मौजूदा शासन के दौरान हुई भर्तियों में जिस तरह की अनियमितताएं हुई हैं, उससे हर कोई वाकिफ है। मुख्यमंत्री अक्सर राज्य सरकार की परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा प्राप्त करने में गर्व महसूस करती हैं।

वह भूल रही हैं कि ये पुरस्कार तब तक नहीं मिलते, जब तक कर्मचारी पूरा प्रयास नहीं करते। अब राज्य सरकार न केवल उन कर्मचारियों को उनके वैध देय से वंचित कर रही है बल्कि उनको चोर कह रही है।

बता दें, बुधवार को राज्य के बकाये का भुगतान न करने को लेकर केंद्र के खिलाफ अपने धरने-प्रदर्शन में एक सभा को संबोधित करते हुए सीएम ममता बनर्जी ने दावा किया कि जिन लोगों ने सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं की सिफारिशों के आधार पर पिछली सरकार के दौरान नौकरी हासिल की थी, वे महंगाई भत्ते को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, मैं उनसे सलाह क्यों लूं? वे सभी चोर-डकैत हैं। इसके अलावा, बीजेपी से जुड़े गुंडे अब इस मामले में बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। गुरुवार सुबह, डीए मुद्दे पर आंदोलन की अगुवाई करने वाले राज्य सरकार के कर्मचारियों के संयुक्त मंच के पदाधिकारियों ने आरोप को निराधार बताया और मुख्यमंत्री द्वारा डीए आंदोलनकारियों की तुलना चोरों और डकैतों से करने पर नाराजगी व्यक्त की।