Bihar Politics: CM नीतीश बोले, हमको मर जाना कबूल है, बीजेपी के साथ नहीं जाना
सीएम नीतीश ने बीजेपी पर साधा निशाना
पटना (बिहार) : बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ फिर से जाने वाली बात पर साफ कह दिया कि उनको मर जाना कबूल होगा, लेकिन किसी भी सूरत में बीजेपी के साथ जाना कबूल नहीं करेंगे।
सोमवार को सीएम नीतीश कुमार पटना के गांधी घाट पर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। उनके साथ बिहार सरकार के मंत्री और राज्यपाल फागू चौहान भी मौजूद थे।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि पर पटना के गांधी घाट पर पहुंचकर स्वतंत्रता के अमर शहीद सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।#MahatmaGandhi #Bihar pic.twitter.com/WjoyaglEzc
— CM Bihar Nitish Kumar (@CMBiharNK) January 30, 2023
इस दौरान ही उन्होंने बीजेपी में जाने के सवालों पर जवाब दिया। महात्मा गांधी पर कहा कि बापू तो सबको बचा रहे थे। इसके बाद भी उनकी हत्या कर दी गई। क्यों हत्या की ? वह मुसलमानों की भी रक्षा कर रहे थे। ये चीजें किसी को नहीं भूलना है।
हम साथ हैं इसलिए लालू-तेजस्वी को फंसाया जा रहा
सीएम नीतीश ने कहा कि लोग जितना भी भुलवाना चाहें या झगड़ा लगवाएं। हमें किसी भी हालत में इसे मंजूर नहीं करना है। ये तो सवाल ही नहीं पैदा होता है। हमें तो मर जाना कबूल है, लेकिन उनके साथ जाना नहीं। ये सब बोगस बातें हैं। वो किस लिए ऐसा बोलते हैं मुझे तो समझ में ही नहीं आता है।
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उन्होंने कहा कि मैं फिर से लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के साथ आ गया हूं। इसलिए उनको भी फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा, पहले तो उनके ही साथ थे तो उन्होंने क्या कर लिया।
बता दें, रविवार को सुशील कुमार मोदी ने भी जेडीयू के साथ फिर से आने वाली बात पर प्रतिक्रिया दी थी। बीजेपी किसी भी हालत में उनके साथ नहीं जाएगी।
इधर, नीतीश कुमार ने सुशील मोदी को लेकर कहा कि जिसको कुछ नहीं बनाया गया है वो ही आज पर ज्यादा बोल रहे हैं। ये सब फालतू की बातें हैं। कोई कुछ भी बोलता रहता है।
अल्पसंख्यक वोट पर दी प्रतिक्रिया
सीएम नीतीश ने अल्पसंख्यक वोट को लेकर भी प्रतिक्रिया दी और बीजेपी पर हमला किया। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक का वोट हमें मिला था। वोट कैसे मिला था, बीजेपी इसे भी भूल गई है। इस बार हमें हराकर हमारा ही वोट लेकर वो जीत गये। कुछ भी बोलते रहते हैं।
आज सब कुछ बदल गया है। हम तो शुरू से ही अटल-आडवाणी के पक्ष में थे और अब ये लोग आये हैं जिन्होंने सब कुछ बदल दिया है। नाम बदल रहे हैं।