बिहार : सरकारी स्कूलों में छुट्टी कटौती वापस होने के बाद भी सियासत!

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बिहार : बिहार के स्कूलों में छुट्टी में कटौती के फैसले को सरकार ने भले ही वापस ले लिया हो, लेकिन इसको लेकर जारी सियासत अब भी थमी नहीं है। छुट्टी कटौती के आदेश पर घिरी सरकार ने सोमवार को बैकफुट पर आते हुए छुट्टी कटौती के आदेश को वापस ले लिया।

शिक्षा विभाग द्वारा छुट्टी कटौती के आदेश के बाद भाजपा और शिक्षक संघ इसके विरोध में अपनी आवाज बुलंद की थी और अंततः सरकार को इस आदेश को वापस लेना पड़ा। भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने एक्स पर मुख्यमंत्री से पूछा कि पाठक जी से और कितनी फजीहत कराएंगे नीतीश जी? भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी के के पाठक फिलहाल बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद पर पदस्थापित हैं।

भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ निखिल आनंद ने शिक्षा विभाग द्वारा हिंदू सनातन धर्म के त्यौहारों की रद्द छुट्टियों को वापस लेने पर सीएम नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया। निखिल ने नीतीश कुमार को मोहम्मद बिन तुगलक बताते हुए बिहार की आम जनता और समस्त शिक्षक समुदाय से माफी माँगने को कहा। निखिल ने नीतीश कुमार से बिहार के सभी शिक्षकों के खिलाफ की जा रही विभागीय कार्रवाई एवं निलंबन वापस लेने की भी माँग की।

भाजपा के इन बयानों से स्पष्ट माना जा रहा है कि भाजपा इस मुद्दे को हाथ से नहीं जाने देना चाह रही है। कहा जा रहा है कि इस मुद्दे के जरिए भाजपा जहां शिक्षकों के वर्ग को साधने की कोशिश में है वही हिंदुत्व के मुद्दे को भी हवा देने की कोशिश में है। शिक्षा विभाग का मानना था कि स्कूलों में अधिक से अधिक पढ़ाई हो, इसके लिए अवकाश में संशोधन किया गया है।

29 अगस्त को शिक्षा विभाग ने संशोधित छुट्टी की सूची जारी की थी, जिसके तहत सितंबर से दिसंबर तक पड़ने वाली 23 छुट्टियों को घटाकर 11 कर दिया गया था। शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश में बताया गया था कि स्कूलों को कम से कम 220 दिन खुलना चाहिए। सभी विद्यालयों में 220 दिन वर्किंग डे होना अनिवार्य है, ऐसा न होने पर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि स्कूलों में छुट्टियां कुछ ज्यादा है, जिसे कम किया जाना चाहिए। जिससे स्कूल में बच्चों को ज्यादा लाभ मिल सके।

 

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