बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका खारिज

याचिका में बिलकिस बानो ने अपने दोषियों की रिहाई का विरोध किया था

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दिल्ली ।  सुप्रीम कोर्ट से बिलकिस बानो को बड़ा झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में बिलकिस बानो ने अपने दोषियों की रिहाई का विरोध किया था। बता दें कि बानो ने अपनी याचिका में साल 2002 में उसके साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की जल्द रिहाई को चुनौती दी थी।\

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वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था। बिलकिस बानो की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ से अनुरोध किया कि इस मामले पर सुनवाई के लिए एक अन्य पीठ का गठन किए जाने की आवश्यकता है। जिस पर सीजेआई चंद्रचूजड़ ने कहा था “रिट याचिका को सूचीबद्ध किया जाएगा। कृपया एक ही चीज का जिक्र बार-बार मत कीजिए।

ज्ञात रहे कि 2002 में गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। घटना के वक्त बानो की उम्र 21 साल की थी और वह पांच महीने की गर्भवती थीं। 21 जनवरी 2008 को सीबीआई की विशेष अदालत ने 11 लोगों को इस मामले में दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इस साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया था।

गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने 1992 के नियमों के तहत सभी की उम्रकैद की सजा को 14 सालों में बदल दिया था। इससे पहले दोषियों ने सजा के खिलाफ पहले बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन हाईकोर्ट ने दोषियों की याचिका खारिज कर दी थी। फिर वे सभी सुप्रीम कोर्ट गए थे, वहां भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। बिलकिस बानो की तरफ से दाखिल पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला तो नियम भी वहां के ही लागू होने चाहिए न कि गुजरात के।