जेन-जी में मशहूर हुआ बिरयानी, दो सालों में सेल में आयी उछाल

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बिरयानी डे के दिन बिरयानी की सेल दोगुनी हो गई है। इससे बिरयानी के विक्रेताओं समेत ऑनलाइल फूड डिलेवरी कंपनियों को भी काफी फायदा हो रहा है। गौरतलब है कि जुलाई के पहले रविवार को कई लोग ‘बिरयानी डे’ के रूप में मना रहें हैं। आंकडों के मुताबिक 1 जुलाई के दिन बिरयानी दिवस के मौके पर एक ऑनलाइन फूड डिलीवरी ई-कॉमर्स कंपनी ने पिछले साल, 2022 में अकेले भारत में बिरयानी के 76 मिलियन से अधिक पैकेट या प्लेट का ऑर्डर दिया था। प्रति मिनट के हिसाब से 219 बिरयानी ऑनलाइन ऑर्डर की जाती हैं। वहीं इस साल कंपनी के मुताबिक 6 महीनों में 1 जनवरी से 30 जून तक देशभर में बिरयानी की बिक्री पिछले साल की तुलना में 8.26 फीसदी बढ़ी है।

जानकारी के अनुसार बड़े चाव से खाई जाने वाली बिरयानी पर्शिया से होते हुए पूरी दुनिया में फैली। यह पर्शियन शब्द ‘बिरियन’ जिसका मतलब ‘कुकिंग से पहले फ्राई’ और ‘बिरिंज’ यानी चावल से निकला है। बिरयानी से जुड़ी कई सारी कहानियां मशहूर हैं। भारत में कहा जाता है कि मुगल अपने साथ इसे भारत लेकर आए थे। यह समय के साथ शाही मुगल रसोइयों में और भी बेहतरीन होती चली गयी। एक कहानी के अनुसार बिरयानी की उत्पत्ति का क्रेडिट मुगल बादशाह शाहजहां की बेगम मुमताज महल को जाता है। कहा जाता है कि एक दिन बेगम आर्मी बैरक में गईं, वहां उन्होंने देखा कि ज्यादातर मुगल सैनिक कमजोर दिखाई पड़ रहे थे। इसे देखकर उन्होंने बावर्चियों से कहा कि सैनिकों के लिए संतुलित आहार देने वाला भोजन बनाया जाए। इसके लिए बेगम मुमताज ने बावर्चियों को चावल और मीट का ऐसा मिश्रण बनाने को कहा जिससे सैनिकों को भरपूर पोषण मिले। इसके बाद कई तरह के मसालों और केसर को मिलाकर बिरयानी का जन्म हुआ। वहीं दूसरी ओर ये भी माना जाता है कि सन् 1398 के आसपास तुर्क-मंगोल विजेता तैमूर भारत में बिरयानी लाया था। इसके अलावा, लखनऊ और हैदराबाद के निजामों के बीच तो यह थी ही।