मुंबई । जली को आग कहते हैं बुझी को राख कहते हैं जिस राख से बारूद बने उसे विश्वनाथ कहते हैं”, यह डायलॉग सुनते ही लोगों के मन में जिसकी छवि सबसे पहले आती है वह कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड के शानदार एक्टर शत्रुघन सिन्हा हैं। कड़क आवाज, चाल ढाल और चेहरे पर बने कट के निशान शत्रुघन खलनायक के रोल के लिए जल्दी ही निर्देशकों की पसंद बन गए। वह इंडस्ट्री के वह अभिनेता हैं, जिन्होंने विलेन बनकर हीरो बनने के सफर की शुरुआत की। आज यह दिग्गज कलाकार अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं।
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शत्रुघन सिन्हा अपने जमाने के जाने माने हीरो रहे हैं। लेकिन फिल्मी दुनिया में बने रहने के लिए उन्हें हीरो से नहीं, बल्कि विलेन के तौर पर पहली पहचान मिली थी। हीरो बनने की चाह लिए मुंबई आए शत्रुघन को करियर के शुरुआती दिनों में विलेन का रोल निभाना पड़ता था। इसी तरह के रोल ने उन्हें वो कामयाबी दी कि हीरो के आगे इनके किरदार के लिए ज्यादा तालियां बजने लगती थी। वह सिनेमा के एक ऐसे विलेन रहे, जिनकी स्क्रीन पर मौजदूगी फैंस को पसंद आती थी।
बड़ी ही अजीब बात है कि शत्रुघन सिन्हा के बॉलीवुड का लोकप्रिय खलनायक बनने के पीछे उनके गाल पर बने कट का बहुत बड़ा हाथ था। इस निशान की वजह से ही शत्रुघन सिन्हा विलेन के रोल में जंचते थे। इसी निशान को निर्देशकों ने अपनी फिल्म में खूब भुनाया भी है। आज शत्रुघन सिन्हा का जन्मदिन है ऐसे मौके पर एक नजर डालते हैं उन फिल्मों पर जिनमें उन्होंने अपने किरदार में जान भर दी। इसके साथ ही अब राजनीति में भी अपना दम-खम दिखा रहे हैं ।
ये फिल्में हैं बॉम्बे टू गोवा, खिलौना, भाई हो तो ऐसा, काला पत्थर, मेरे अपने जैसी और भी कई नामी-गिनामी फिल्में हैं जिसमें शत्रुघन सिन्हा ने अपने दमदार अभिनय का परिचय दिया है।