बस कंडक्टर के दिव्यांग बेटे ने नेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप में जीता रजत पदक

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देवघर : कहते हैं प्रतिभावान अपनी राह खुद ढूंढ लेते हैं, देवघर शहर में काबिलियत के दम पर हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. बता दे कि देवघर के एक स्कूल बस कंडक्टर के दिव्यांग बेटे ने खेल के क्षेत्र में इस इतिहास को आगे बढ़ाने का काम किया है. एक पैर से दिव्यांग रोहित कुमार ने चंडीगढ़ में आयोजित नेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर अपने परिवार और देवघर का नाम रौशन किया है. आज सुबह वह अपने पिता के साथ जसीडीह स्टेशन पर उतरे लेकिन विडंबना यह है कि न तो उनके स्वागत के लिए कोई आया और न ही उन्हें कोई सरकारी सहायता मिली. न ही इस दिव्यांग को झारखंड का झंडा और सम्मान मिला, यहां तक ​​कि उसका स्वागत भी नहीं किया गया.

 

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रोहित कुमार दिव्यांग खिलाड़ी हैं. कुश्ती के साथ-साथ वह अन्य खेल भी खेलते हैं। नेशनल में अपने पिता गणेश प्रसाद के साथ देवघर लौटे रोहित कुमार बताते हैं कि बचपन में उनके हाथ-पैर काम नहीं करते थे लेकिन कड़ी मेहनत की, इसके बाद धीरे-धीरे उनमें सुधार होने लगा और फिलहाल वे केमिस्ट्री में ऑनर्स कर रहे हैं. इनकी अंग्रेजी भी बहुत अच्छी है, कड़ी मेहनत और परिवार के सहयोग से वे आगे बढ़ते रहे और आज उन्होंने नेशनल ताइक्वांडो में सिल्वर मेडल जीता है, इससे पहले उन्होंने राज्य स्तर पर भी गोल्ड मेडल जीता है. रोहित कुमार और उनके पिता एक दूसरे का सहारा हैं. देवघर के बीएन झा पथ के पोखना टीला मोहल्ले में रहने वाले इस परिवार में पति-पत्नी का एक दिव्यांग बेटा और दो बेटियां हैं, आर्थिक तंगी का शिकार होने के बावजूद बेटा ऊंची उड़ान भरने में सक्षम है. कभी पीछे न रहें, जरूरत है ऐसे दिव्यांग खिलाड़ियों को राज्य व केंद्र सरकार द्वारा सुविधाएं मुहैया कराने की, ताकि उनका खेल उत्साह कम न हो और वे भी सामान्य लोगों की तरह अपना मुकाम हासिल कर सकें.