कोलकाता : पंचायत चुनाव की घोषणा हो चुकी है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने नामांकन पहले ही पूरे कर लिए हैं। अब सभी दल स्क्रूटनी के दौर के बाद उम्मीदवारी वापस लेने की प्रक्रिया खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन इतनी व्यस्तता के बीच राज्य भर में पंचायत चुनाव के लिए प्रचार शुरू हो गया है। उस व्यस्तता के चलते इस बार राज्य कैबिनेट की बैठक टाल दी गई है। राज्य सचिवालय नवान्न के अनुसार, मुख्यमंत्री की ओर से सोमवार दोपहर 3 बजे बुलायी गयी कैबिनेट की बैठक टाल दी गयी है।
इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि कैबिनेट की बैठक अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दी गई है। सही समय और अवसर को समझकर कैबिनेट बैठक की अगली तारीख की घोषणा की जाएगी। हालांकि प्रशासनिक हलकों के एक तबके के मुताबिक सत्ताधारी पार्टी तृणमूल प्रशासन के साथ राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर काफी व्यस्त है। इसी के चलते कैबिनेट की बैठक फिलहाल टाल दी गई है।
राज्य में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव होने वाले हैं। मतगणना 11 जुलाई को होगी। पंचायत चुनाव का प्रचार 6 जुलाई को समाप्त हो रहा है। इसलिए राज्य सरकार के ज्यादातर मंत्री अपने-अपने जिलों में वोट के लिए प्रचार में जुटे रहेंगे। राज्य मंत्रिमंडल के लगभग 30 सदस्य ग्रामीण इलाकों से हैं। इसलिए उन्हें पंचायत चुनाव में अपने-अपने क्षेत्र में प्रचार की जिम्मेदारी संभालनी होगी। पंचायत चुनाव अगले लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ तृणमूल के लिए एक बड़ी परीक्षा है। सत्ता पक्ष उस परीक्षा को सम्मान के साथ पास करने के लिए पूरी ताकत का इस्तेमाल करना चाहता है।
नवान्न ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल में कई फैसले लिए जाने थे, जिसकी घोषणा से विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप लगते हैं। इसलिए राज्य सरकार नहीं चाहती थी कि राज्य के पंचायत चुनाव के दौरान इस तरह का कोई विवाद हो। इसलिए, राज्य सरकार चुनाव के आदर्श आचरण को अंतिम रूप देने के बाद कैबिनेट बैठक में उन फैसलों को मंजूरी देने की घोषणा करेगी।
हालांकि, शनिवार को कालीघाट में तृणमूल की चुनाव समिति की बैठक में तय हुआ कि तृणमूल के 50 शीर्ष नेता अगले 20-25 दिन जिले में जाकर प्रचार करेंगे। सभी को कम से कम 40 सभाएं करनी पड़ेंगी।