रांची : झारखंड की राजधानी डेंजर जोन में है. चिलचिलाती धूप और बढ़ती आबादी भूजल का तेजी से दोहन कर रही है. भीषण गर्मी ने राजधानी के भूमिगत जल की स्थिति को खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया है.जमीनी स्तर से सात मीटर से 10 मीटर नीचे तक के जल स्तर को डेंजर जोन कहा जाता है. जबकि तीन मीटर से छह मीटर नीचे के जल स्तर को सेमी डेंजर जोन कहा जाता है. आंकड़े बताते हैं कि राजधानी का पूरा शहरी इलाका डेंजर जोन और सेमी डेंजर जोन में आ गया है. वहीं, कुछ इलाके ऐसे भी हैं जो खतरे के दायरे से बाहर चले गए हैं. गर्मी के दिनों में शहरी क्षेत्रों में भूमिगत जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है.शहर के तीन इलाकों में भूगर्भ जल की स्थिति भयावह हो गयी है. हटिया, कांके और महिलौंग क्षेत्र में भूगर्भ जल का स्तर डेंजर जोन को भी लांघ गया है. गत वर्ष मई में कांके हाई स्कूल का जलस्तर 19.60 मीटर विलो ग्राउंड मापा गया था. वहीं, हटिया का जलस्तर 12.40 व महिलौंग का 11.47 मीटर विलो ग्राउंड था. हरमू क्षेत्र का जलस्तर भी डेंजर जोन की अधिकतम सीमा 10.00 मीटर विलो ग्राउंड तक पहुंच गया है.
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इसके अलावा लालगंज, लोवाडीह, पिंडारकोम, मोरहाबादी, बीआइटी मोड़ व ब्रिजफोर्ड स्कूल के क्षेत्र में भी भूगर्भ जल का स्तर डेंजर जोन में है.राजधानी के कुछ क्षेत्रों में भूगर्भ जल का स्तर गत वर्षों के मुकाबले बेहतर भी हुआ है. कांके, नामकुम, पिठोरिया, सिरमटोली व मनिटोला डोरंडा क्षेत्र का जल स्तर मई 2019-20 के मुकाबले मई 2022-23 में ऊंचा उठा है. बावजूद इसके मनिटोला को छोड़ कर शेष सभी क्षेत्रों में भूगर्भ जल का स्तर डेंजर या सेमी डेंजर जोन से बाहर नहीं निकल सके हैं. डोरंडा स्थित मनिटोला की स्थिति सबसे बेहतर है. वहां भूमिगत जल का स्तर 2.45 मीटर विलो ग्राउंड पाया गया है.भवनों के साथ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण कर भूगर्भ जल को रिचार्ज किया जा सकता है. परंतु, राज्य सरकार की सख्ती के बाद भी शहरों में भवनों के साथ वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण नहीं किया जा रहा है. राजधानी के 27104 भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं है. इन भवनों के मालिक जुर्माना के रूप में डेढ़ गुना होल्डिंग टैक्स दे रहे हैं, लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं करा रहे हैं. नियमानुसार, 3000 वर्गफीट या उससे अधिक क्षेत्र में किये गये निर्माण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है. इस सीमा में रांची नगर निगम क्षेत्र में 79772 निर्माण किये गये हैं. इनमें से 52668 (66.02 प्रतिशत) भवनों का निर्माण कार्य रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ किया गया है. वहीं, शेष 33.98 प्रतिशत (27104) भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं है.