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संपादकीय

मजाक नौनिहालों से

बंगाल के बारे में गोपाल कृष्ण गोखले कहा करते थे कि बंगाल जो आज सोचता है, उसे पूरा भारत कल सोचता है। गोखले की इस बात को यहां के नेता बार-बार दुहराते हैं तथा इसी बहाने…

किससे शिकायत, किसकी दुहाई

फिर हो गया रेल हादसा। यह कोई नई बात नहीं है। भारतीय रेल इस तरह के हादसों के लिए हाल के वर्षों तक कुख्यात रही है। लेकिन कथित तौर पर सरकार ने रेल की सेहत सुधारने की…

समझौते का दबाव

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कहा जाता रहा है तथा उनसे बिहार के लोगों को इस बात की उम्मीद रही है कि कम से कम उनके शासन में अत्याचार से लोगों को…

सदियों ने सजा पाई

एक कहावत है कि लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पाई। सरकारी महकमे में जनता की भलाई के लिए तरह-तरह की परियोजनाएं लाई जाती हैं तथा समझा जाता है कि इनसे जनता का भला…

ये हवा किसी की नहीं

देश की आजादी के बाद से ही लोकतंत्र को नए-नए सांचे में ढालने की कोशिश होती रही है। जितनी भी सरकारें अबतक केंद्र में बनीं, सबने अपने-अपने तरीके से देशसेवा करने की…

जिद नहीं, समर्पण की जरूरत

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनते ही कुछ लोगों को दिन में ही सपने आने लगे हैं। खासकर उन कांग्रेसियों में ज्यादा उत्साह देखा जा सकता है जिन्हें किसी के दूसरे के कंधे…

गाली और ताली का खेल

कर्नाटक विधानसभा के चुनावी नतीजे आ चुके हैं जिनमें कांग्रेस को सरकार बनाने का स्पष्ट जनादेश मिला है। लंबी मशक्कत के बाद कांग्रेस को जीत का मौका मिला है और वह भी अपने…

पुतिन की दहाड़

पिछले लगभग 14-15 महीनों से जारी रूस और यूक्रेन की जंग एक अजीबोगरीब मोड़ पर खड़ी है। इस जंग में एक ओर दुनिया की महाशक्तियों में शामिल रूस अपने पड़ोसी यूक्रेन से…

राष्ट्रसंघ में बदलाव का समय

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दुनिया में एक पंचायत की जरूरत महसूस की गई थी। इसी पंचायत के गठन की दिशा में यूनाइटेड नेशन या राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई। समझा गया था कि…