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संपादकीय

फिर एक मजदूर दिवस

वामपंथी आंदोलन ने कम से कम एक दिन की छुट्टी दिलाई थी इस मजदूर दिवस के नाम पर। लेकिन हैरत की बात है कि मजदूर या श्रम को सही तरीके से परिभाषित नहीं किया जा सका।…

शांतिनिकेतन में अशांति

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने जब शांतिनिकेतन की स्थापना की थी तो शायद उनके जेहन में दूर-दूर तक यह बात नहीं आई होगी कि एक दिन शांतिनिकेतन में भी अशांति अपनी जगह बना…

गाइडलाइंस अब जरूरी

चुनाव हो तो मीडिया मार खाए। दंगे हों तो मीडिया के लोग मारे जाएं। राजनीतिक बवाल हो तो भी मीडिया वालों की पिटाई और किसी की हत्या करनी हो तो भी मीडिया वालों के ही कंधों…

सूचना पर सेंसर या कुछ और

पहले इस बात का संकेत दिया जा चुका था कि ऑनलाइन समाचारों या सूचना की बढ़ रही गति पर विराम लगाने की सोच सरकारी गलियारे में पनप रही है। जनवरी में ही सरकार से आईटी…

अमेरिका से सीखें लोकतंत्र

इसे कहते हैं लोकतंत्र। इसमें हर नागरिक को सरकार से सवाल पूछने का हक होना चाहिए। लेकिन पता नहीं क्यों भारतीय शासकों को आम लोगों के सवालों से चिढ़ होती जा रही है।…

सपने में जीने की आदत

कुछ लोगों को दिन में ही सपने आने लगते हैं। ऐसे लोग भी किस्मत के बहुत धनी कहे जा सकते हैं। दरअसल सपनों पर किसी तरह की बंदिश नहीं होती और जो जितनी चाहे, उड़ान भर सकता…

संयुक्त राष्ट्र और भारत

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही दुनिया में जिस तरह का ध्रुवीकरण होता गया उसमें किसी को भी एक न एक गुट के साथ नहीं रहने में काफी जोखिम था। लेकिन भारत ने दो गुटों में…

अगले चुनाव की तैयारी

लोकसभा के चुनाव में अभी तकरीबन एक साल की देरी है। लेकिन प्रायः सभी दलों की ओर से अगले आम चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए तरह-तरह के समीकरणों को ध्यान मे…

जुबान पर ताले का फरमान

देश की आजादी के बाद से भारत को चलाने के लिए एक संविधान की रचना की गई है। हर सरकार संविधान के अनुसार ही जनता के वोटों से चुनकर आती है और पूरे पांच साल तक जनता की सेवा…