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संपादकीय

खानाबदोश जिंदगी

इतिहास इस बात की गवाही देता रहा है कि हर युग में कुछ ऐसे सिरफिरे लोग रहे हैं जिन्हें आम लोगों की जिंदगी से खेलने का शौक रहा। ऐसे लोगों का इतिहास भी बड़ा अजीबोगरीब…

दुनिया के दो कारोबारी

दुनिया से शीतयुद्ध का कथित तौर पर सफाया हो गया है। अमेरिका और रूस की लड़ाई कहीं न कहीं थम गई सी लगती है। लेकिन अंदर ही अंदर आग जल रही है तथा किसी भी वक्त कोई…

राज्यपालों की समस्या

देश की आजादी से लेकर अबतक केंद्र में जितनी भी सरकारें बनी हैं, सभी ने कमोबेश राज्यपालों को अपना खास आदमी बनाकर ही राज्यों में पेश किया है। और यह खास आदमी भी यदि किसी…

मीडिया और अदालत

लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह माना जाता है कि मीडिया को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए। लेकिन जैसे-जैसे देश में सरकार चलाने वाले नेताओं का चरित्र बदलता गया, उसी…

भारत की सही राह

भारतीय लोकतंत्र के बारे में दुनिया चाहे जो भी गिले-शिकवे करती रही हो लेकिन तमाम देशों को यह मानना ही पड़ता है कि भारतीय लोकतंत्र की जड़ें काफी मंजूर हैं। यही वजह है…

त्यौहारों की प्रासंगिकता

दीपावली की शुभकामनाओं के साथ यह बेहद जरूरी हो गया है कि पाठकों से इस बात की चर्चा की जाए कि त्यौहारों की अवधारणा के पीछे की मानसिकता क्या है। आज तेजी से बदलते समाज…

दमघोंटू आबोहवा

उत्सवों का मौसम चल रहा है। जाहिर है कि खुशियां मनाने के लिए तरह-तरह के आयोजन किए जाएंगे। रोशनी का खास इंतजाम किया जाएगा और शौकीन लोग पटाखे भी जलाएंगे। आखिर इंसान…

भावी पीएम की सीख

हद हो गई है अब। सियासत किस मोड़ पर देश को ले जाएगी, कौन-क्या सीख देगा, कहना मुश्किल हो रहा है। भारत में लोकसभा के चुनाव अब करीब आ रहे हैं। चुनाव से पहले सियासी…

पढ़ाई का नया विधान

कहा जाता है कि जानवर और इंसान के बीच का फर्क इंसान की मेधा तय करती है। यह मेधा भी तबतक कुंद ही रहती है जबतक उसे शिक्षित नहीं किया जाए। मतलब यह कि इंसान को समाज में…