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संपादकीय

कहां शुरू, कहां खत्म

किसी भी कहानी की शुरुआत के साथ ही उसके अंत की दास्तां भी नियति तय कर दिया करती है। यह बात दीगर है कि नियति के इस अद्भुत खेल के बारे में उसके अलावा किसी और को पता…

चुनावी चंदे की चर्चा

प्रायः हर लोकतांत्रिक सरकार में राजनीतिक दलों की अहम भूमिका हुआ करती है। दलों का देश से अलग अस्तित्व भले हो, उन्हें देश की आबादी से भले ही कोई लेना-देना न हो, लेकिन…

आरक्षण की आग

राजस्थान, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश व अन्य दूसरे राज्यों की तरह ही महाराष्ट्र भी अब जलने लगा है। इस राज्य के बारे में यही समझा जाता रहा है कि यहां सबकुछ ठीकठाक चल…

आत्म प्रशंसा की जल्दबाजी

संस्कृत भाषा से लोगों ने भले ही आज दूरी बना ली है लेकिन कुछ उक्तियां आज भी उतनी ही समसामयिक व प्रासंगिक हैं जितनी तब थीं, जब उन्हें लिखा या गढ़ा गया होगा। कहा गया…

जस यूपी, तस बिहार

पहले सियासत में बीमारू राज्यों की बात की जाती थी जिनमें बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश का नाम भी शामिल था। बाद में केंद्र की मोदी सरकार ने बीमारू…

बचा ली लाज

भारत सरकार की ओर से पहले ही इस बात का विरोध किया जा रहा था। विरोध यह हो रहा था कि समान लिंग के लोगों के बीच विवाह जैसा संबंध नहीं होना चाहिए। अदालत को भी इस मसले पर…

इंसाफ का इंसाफ

लोकतंत्र को सही तरीके से चलाने के लिए भारत में संविधान की रचना हुई। संविधान के तीन प्रमुख अंगों में कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा विधायिका को शामिल किया गया है।…

मीडिया की आवाज

मुल्क की सियासत या प्रशासन जैसे-जैसे करवटें बदलता है, उसके आनुषांगिक कई बातों में भी बदलाव के संकेत देखे जाते हैं। आजकल फिर मीडिया पर अंकुश लगाने की बात होने लगी है…

जननी जन्मभूमिश्च

अपने यहां एक नीति श्लोक प्रचलित है जिसमें जन्मभूमि को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है और इसकी रक्षा के लिए कोई भी कीमत अदा की सीख दी गई है। भूमेः गरीयसी माता,…