अमरपाल की तैनाती पटपड़गंज औद्योगिक थाने में थी। वहीं दीपक, दल्लुपुरा गांव का रहने वाला है और छोटा ट्रांसपोर्टर है। उसकी कई बसें यमुनापार और उत्तर प्रदेश में चलती हैं। वह स्थानीय थाना पुलिस के साथ मिलकर उनके लिए अन्य बस संचालकों से पैसे वसूलने का धंधा करता था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक दल्लुपुरा गांव के रहने वाले परमाल डेढ़ा की यमुनापार और यूपी के जिलों में कई निजी बसें चलती हैं। वह बहुत पुराना और बड़ा ट्रांसपोर्टर माना जाता है। उनकी कई चाटर्ड बसें भी चलती है। उसकी अधिकतर बसें आनंद विहार बस अड्डा के बाहर स्थित विभिन्न बस स्टैंड के बाहर खड़ी रहती है और वहां से सवारियां उठाती हैं।

ट्रांसपोर्टर से पुलिस लेती है रिश्वत

सूत्रों के मुताबिक आनंद विहार बस अड्डा के बाहर दिन रात तमाम ट्रांसपोर्टरों की बसें अवैध रूप से रोकी जाती है। वहां से बस चालक सवारियां उठाते हैं। वहां से कुछ बसें दिल्ली के विभिन्न इलाके व कुछ उत्तर प्रदेश जाती हैं। सैकड़ों की संख्या में ट्रांसपोर्टरों के दलाल बस अड्डा के बाहर घूमते रहते हैं, जो यात्रियों को जबरन पकड़ कर उन्हें अपनी-अपनी बसों में ले जाते हैं। सभी ट्रांसपोर्टरों का पुलिस से अच्छी सांठगांठ रहती है। वे पुलिसकर्मियों को मासिक तौर पर रिश्वत देते हैं। तभी उन्हें बसें खड़ी करने की इजाजत मिलती है।

सभी ट्रांसपोर्टरों से होती है वसूली

आनंद विहार बस अड्डा चौकी पुलिस के अलावा ट्रैफिक पुलिस भी सभी ट्रांसपोर्टरों से मासिक तौर पर मोटी रकम वसूलती है। परमाल डेढ़ा का किराए आदि के कई धंधे हैं। वह नेता गिरी भी करता है। सूत्रों की मानें तो परमाल का बेटा गौरव अपनी बसें खड़ी करने के लिए पैसे नहीं देना चाह रहा था। इस बात को लेकर हवलदार अमरपाल से उसका झ्रगड़ा हो गया था। ट्रांसपोर्टर दीपक से भी गौरव का झगड़ा हो गया था। बीच का रास्ता निकालने के लिए गौरव ने दीपक के माध्यम से हवलदार से संपर्क कर पांच हजार रुपये महीना देने की डील तय की, लेकिन सबक सिखाने के लिए उसने सीबीआई में भी शिकायत कर दी।