अभिषेक बनर्जी से सीबीआई- ईडी की होगी पूछताछ: हाईकोर्ट

स्कूल भर्ती  भ्रष्टाचार मामला

105

कोलकाता :  कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछले आदेश को बरकरार रखते हुए गुरुवार को केंद्रीय एजेंसियों को बंगाल में करोड़ों रुपये के भर्ती भ्रष्टाचार मामले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का अधिकार दिया।

हाईकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को युवा तृणमूल कांग्रेस के निष्कासित नेता कुंतल घोष से उनके उस आरोपों के संबंध में पूछताछ करने की भी अनुमति दी, जिसमें मामले में अभिषेक बनर्जी का नाम लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर दबाव डालने का आरोप लगाया गया था।

न्यायाधीश सिन्हा ने अभिषेक बनर्जी और कुंतल घोष पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। मामले में शामिल एक वकील फिरदौस शमीम ने मीडियाकर्मियों को सूचित किया कि अदालत का समय बर्बाद करने के कारण जुर्माना लगाया गया। अभिषेक को जुर्माने की राशि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा करनी होगी है।

 

बता दें, प्रारंभ में, न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने केंद्रीय एजेंसियों को अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का अधिकार दिया था लेकिन उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले से जुड़े 2 मामले न्यायाधीश सिन्हा की बेंच को ट्रांसफर कर दिए गए।

हालांकि मामले की सुनवाई 15 मई को पूरी हो गई थी, लेकिन न्यायाधीश सिन्हा ने उस दिन अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उल्लेखनीय है कि टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी का नाम तब सामने आया जब कुंतल घोष ने भर्ती भ्रष्टाचार मामले में टीएमसी महासचिव का नाम लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर दबाव डालने का आरोप लगाते हुए एक स्थानीय पुलिस स्टेशन के साथ-साथ एक निचली अदालत के न्यायाधीश को पत्र लिखा।

पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान न्यायायाधीश सिन्हा ने मामले में जांच का सामना करने में याचिकाकर्ता की अनिच्छा के कारणों पर सवाल उठाया था। यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता को जांच प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए, उन्होंने यह भी देखा कि कोई भी जांच से ऊपर नहीं है।

न्यायाधीश सिन्हा ने पहले कहा था, जांच एजेंसी को यह तय करने दें कि कौन शामिल है और कौन नहीं है। कानूनी व्यवस्था सबसे ऊपर है। सभी को जांच की प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए।

 

गौरतलब है कि इससे पहले भी अदालत द्वारा इस तरह के जुर्माना लगाये जाने के कई उदाहरण हैं। इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य की सीएम ममता बनर्जी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। ममता ने नंदीग्राम कांड में विधानसभा के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में मामला दायर किया था।

मामला न्यायाधीश कौशिक चंद की बेंच में आया था लेकिन मुख्यमंत्री ने न्यायाधीश की बेंच बदलने की अपील की। न्यायाधीश चंद ने अपील  स्वीकार ली लेकिन उनकी बेंच पर भरोसा नहीं करने के लिए ममता पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अब अभिषेक बनर्जी के मामले में भी ऐसा ही हुआ।