निजी वाहनों में वीएलटीडी लगाने को लेकर केंद्र और राज्य परिवहन संगठन फिर टकराव

154

व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) लगाने को लेकर परिवहन विभाग और निजी परिवहन संस्थाओं के बीच विवाद खड़ा हो गया है। काफी मतभेद के बाद वे वीएलटीडी स्थापित करने पर सहमत हुए लेकिन हाल ही में एक नोटिफिकेशन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। परिवहन विभाग द्वारा प्रकाशित अधिसूचना में कहा गया है कि सभी निजी वाहनों ने 31 मई तक वीएलटीडी लगाने की लिखित सूचना परिवहन विभाग को दी थी। यदि वे उल्लिखित वीएलटीडी में फिट नहीं बैठते हैं, तो पहले जारी किया गया ‘फिटनेस प्रमाणपत्र’ (सीएफ) रद्द कर दिया जाएगा। बाद में उन्हें दोबारा सीएफ के लिए आवेदन करना होगा। अन्यथा 1 जून से सीएफ न बनने तक 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होगा। इस तरह की अधिसूचना के बाद निजी परिवहन संगठन के सदस्यों ने परिवहन विभाग के खिलाफ आक्रोश जताया है।

इसी बीच निजी बस मालिकों ने सवाल उठाया कि जब दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति बनी कि सीएफ के दौरान वीएलटीडी लगाई जाएगी तो फिर नई अधिसूचना जारी करने की क्या जरूरत है? इसे लेकर सिटी सबअर्बन बस सर्विसेज के नेता टीटू सहर ने कहा कि ”हम परिवहन विभाग की सभी शर्तों के अनुपालन में वीएलटीडी स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं। वहां नये सिरे से अधिसूचना जारी कर स्थिति को जटिल बनाया जा रहा है। परमिट नवीनीकरण और वाहन का नाम बदलने के मामले में भी दिक्कतें आ रही हैं। राज्य की परिवहन सेवाओं को सुचारु रूप से चालू रखने के लिए परिवहन विभाग को इन सभी क्षेत्रों में और अधिक लचीला होने की आवश्यकता है। जानकारी के अनुसार इस साल अप्रैल में परिवहन विभाग ने वाहनों में वीएलटीवी लगाने में कुछ छूट दी थी। उस समय विभाग ने एक अधिसूचना प्रकाशित कर कहा था कि 31 मई के बाद अपने वाहनों में वीएलटीडी लगवाने वालों को सीएफ के दौरान इसे लगवाना होगा। हालांकि जिन लोगों ने 31 मई तक वीएलटीडी स्थापित करने का लिखित में वादा किया है, उन्हें उस अवधि के भीतर वीएलटीडी स्थापित करना होगा।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल से कोलकाता महानगर के साथ राज्य में भी सभी वाहनों में वीएलटीडी लगाना अनिवार्य घोषित कर दिया गया है। वहीं राज्य परिवहन विभाग ने केंद्रीय कार्य, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के नियमों के अनुरूप इस फैसले को लागू करने की पहल की। सबसे पहले कहा गया कि 31 दिसंबर 2022 तक सभी वाहनों में वीएलटीडी लग जाना चाहिए। यदि वाहन में यह नई तकनीक नहीं लगाई गई तो प्रतिदिन 50 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। परिवहन विभाग के इस फैसले का निजी परिवहन संगठनों के नेताओं ने विरोध किया कारण पहले इसे अनिवार्य किया गया और बाद में जुर्माने की घोषणा की गयी। हालांकि उन्होंने वीएलटीडी की स्थापना का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने इसे अनिवार्य बनाने या इसकी स्थापना के लिए एक विशिष्ट समय सीमा निर्धारित करने के खिलाफ अपनी नाराजगी भी व्यक्त की। इसे लेकर उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन पर जुर्माना लगाया गया तो वे जवाबी विरोध प्रदर्शन करेंगे। वहीं परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि परिवहन विभाग पर्याप्त सहयोग कर रहा है। केंद्र सरकार ने देशभर में जो नियम लागू किए हैं, उन्हें इस राज्य में लागू करने के लिए ही परिवहन विभाग ने यह कदम उठाया है।