कल नड्डा के नेतृत्व में केंद्रीय दल करेगा संदेशखाली का दौरा

लोकसभा चुनाव में संदेशखाली को ट्रंप कार्ड के रूप में इस्तेमाल करेगी भाजपा

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कोलकाता, सूत्रकार : संदेशखाली को लेकर राज्य की राजनीति में और हलचल आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे। दरअसल यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गया है और इस मुद्दे को भाजपा तृणमूल के खिलाफ बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है। यही वजह है कि आंदोलन को और धार प्रदान करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को बंगाल आ रहे हैं।

बीजेपी के छह सांसदों की एक टीम उनके साथ रहेगी। इस टीम में पांच महिला सदस्य भी हैं। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक यह टीम संदेशखाली जाएगी और वहां की स्थानीय महिलाओं से बात करेंगी।

जानकारों का मानना है कि बीजेपी संदेशखाली को सिंगूर-नंदीग्राम आंदोलन की लाइन पर ले जाने की कोशिश कर रही है। सिंगुर-नंदीग्राम भूमि आंदोलन बंगाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि के दो सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख आंदोलनों में से एक है। सिंगूर-नंदीग्राम को लेकर तत्कालीन विपक्ष (मुख्यतः तृणमूल) के विरोध प्रदर्शन ने पश्चिम बंगाल में वामदुर्गा की नींव हिला दी थी। वामपंथ विस्थापित हो गया था। भले ही उस समय बीजेपी बंगाल में इतनी प्रभावी नहीं थी, लेकिन बीजेपी उस घटना को एक ‘मॉडल’ के तौर पर देख रही है। सिंगुर-नंदीग्राम के दौरान तृणमूल विपक्षी पार्टी थी।

बता दें कि, पिछले दो दिनों से बीजेपी नेता लगातार संदेशखाली में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें पुलिस द्वारा बार-बार रोका गया है। इसके बाद उन्होंने सड़कों पर बैठकर प्रर्दशन किया है। फिर भी वे हार नहीं मान रहे हैं। जैसा कि सिंगूर-नंदीग्राम आंदोलन के दौरान तत्कालीन विपक्षी नेता ममता बनर्जी और अन्य तृणमूल नेताओं ने किया था।

भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व पहले भी संदेशखाली को लेकर हमला कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने संदेशखालीकांड के बारे में खुलकर ममता बनर्जी पर हमला किया था। इसके साथ ही उन्होंने तृणमूल सरकार पर जमकर निशाना साधा है। इसके बाद निष्कासित तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने भी उन पर पलटवार किया था। इस बार जेपी नड्‌डा के नेतृत्व में बीजेपी की केंद्रीय टीम सीधे संदेशखाली का दौरा करने के लिए राज्य आ रही है। इससे साफ है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले संदेशखाली के साथ मैदान में उतरना चाहती है।

लेकिन, दूसरी ओर राज्य का सत्ताधारी खेमा संदेशखाली को लेकर बीजेपी के उग्र आंदोलन को खास तवज्जो नहीं देना चाहता। तृणमूल ने यह भी दावा किया कि संदेशखाली में स्थानीय तृणमूल नेताओं के खिलाफ भाजपा के आरोप ‘बंगाल विरोधी प्रचार’ थे। हालांकि, राज्य सचिव और सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं में से एक कुणाल घोष ने संदेशखाली को सिंगूर-नंदीग्राम लाइन पर ले जाने के प्रयास को ‘घातक’ करार दिया है।