जज के पति ने सीआईडी पर लगाया मानसिक प्रताड़ना का आरोप
राष्ट्रपति, पीएम और सीएम को लिखा पत्र, सीआईडी ने आरोपों को किया खारिज
कोलकाता, सूत्रकार : कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अमृता सिन्हा के पति ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की कि राज्य पुलिस की सीआईडी उन पर अपनी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाल रही है। प्रताप चंद्र दे ने यही शिकायत केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से की है। प्रताप चंद्र दे स्वयं कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।
इससे पहले, दे ने बार एसोसिएशन में इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई थी। दे ने सीआईडी पर उन्हें एक मामले में गवाह के रूप में बुलाने और उसके बाद अपनी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया। पश्चिम बंगाल के स्कूल में नौकरी के अभ्यर्थियों से करोड़ों रुपये वसूले जाने, विशेष रूप से एक कॉरपोरेट इकाई के निदेशकों की संपत्ति से संबंधित मामले (जिनका नाम कथित स्कूल नौकरी घोटाले की केंद्रीय एजेंसी की जांच के दौरान सामने आया था) की सुनवाई फिलहाल जस्टिस सिन्हा की बेंच कर रही है। उन्होंने दावा किया कि उन्हें सीआईडी अधिकारियों ने दो बार बुलाया और उन्हें सीआईडी कार्यालय में नौ घंटे से अधिक समय तक इंतजार कराया गया था।
पता चला है कि दे ने अपना मोबाइल फोन जमा करने के सीआईडी का निर्देश नहीं माना और इसके बजाय एजेंसी को एक जवाबी पत्र दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन पर अपनी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डालने के अलावा उनके समक्ष लुभावनी पेशकश की गई। उधर, सीआईडी की शिकायत में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी दे इस मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
सीआईडी ने आरोपों को किया खारिज
कलकत्ता हाई कोर्ट की जज अमृता सिन्हा के पति प्रताप चंद्र के आरोपों को सीआईडी ने खारिज कर दिया। एक बयान में उन्होंने कहा कि प्रताप के साथ किसी भी तरह का मानसिक शोषण नहीं किया गया। जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि उनसे पूछताछ की ऑडियो और वीडियो भी रिकॉर्ड की गई है। सीआईडी ने प्रताप के आरोपों का ‘जवाब’ देते हुए एक बयान जारी किया है। उन्होंने दावा किया कि पूछताछ के दौरान प्रताप को समय पर चाय और पानी दिया गया। यहां तक कि धूम्रपान के लिए भी समय दिया गया था।