5 साल से लापता छात्र को CID नहीं कर पाई तलाश, कलकत्ता HC ने CBI को दी जिम्मेदारी
2017 में 16 वर्षीय छात्र संतू भट्टाचार्य ट्यूशन पढ़ने के दौरान लापता हो गया था
नदिया: पश्चिम बंगाल के नदिया जिले से लापता छात्र को बंगाल की सीआईडी पांच सालों से नहीं खोज पाई. पीड़ित परिवार की फरियाद पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है।
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले का एक छात्र पिछले पांच सालों से लापता है। सीआईडी को जांच का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन 5 सालों में छात्र का पता नहीं लगा पाई।
कलकत्ता उच्च न्यायालय नेसीबीआई को छात्र की तलाश करने का निर्देश दिया है। जस्टिस राजशेखर मंथा ने गुरुवार को यह आदेश दिया। बता दें कि, साल 2017 में 16 वर्षीय छात्र संतू भट्टाचार्य ट्यूशन पढ़ने के दौरान लापता हो गया था। उसका घर नदिया जिले में मदनपुर है।
बेटे की तलाश में मां कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंची थी। गुरुवार को हाईकोर्ट ने सीआईडी के हाथों से इस मामले में जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को दे दी। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर परिवार ने राहत की सांस ली है।
संतू भट्टाचार्य नदिया के मदनपुर इलाके के रहने वाले हैं। उसकी उम्र 16 साल है। साल 2017 में संतू घर के पास ट्यूशन पढ़ने गया था। उसके बाद वह नहीं लौटा।
अभी तक उसका कोई पता नहीं चला है, संतू के परिवार ने कल्याणी थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी, लेकिन कल्याणी पुलिस संतू को खोजने में नाकाम रही।
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संतू की मां महुआ भट्टाचार्य ने अपने बेटे का पता लगाने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उस वक्त जज ने मामले की जांच राज्य की खुफिया एजेंसी सीआईडी को सौंपी थी, लेकिन 3 साल की छानबीन के बाद भी सीआईडी के जासूस संतू को ढूंढ नहीं पाए।
2020 में सीआईडी की नाकामी को उजागर करते हुए संतू की तलाश में सीबीआई जांच की मांग को लेकर फिर से हाईकोर्ट में केस दाखिल किया गया।
अब CBI करेगी लापता छात्र की तलाश, कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया आदेश
वकील अच्युता बोस और पूनम बोस ने संतू के लापता होने से जुड़ा केस कोर्ट में लड़ा था। उस मामले की सुनवाई में गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस राजशेखर मंथा ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
बता दें कि कुछ दिन पहले भी त्रिशित विश्वास न्यू अलीपुर, कोलकाता से इंजीनियरिंग का छात्र नवंबर 2019 में वह अचानक गायब हो गया था। उसके बाद परिजन परेशान होकर न्यू अलीपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
उसकी जांच भी सीआईडी कर रही थी, लेकिन तीन साल के बाद भी वह नहीं मिल पाया था। उसके बाद, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस घटना की सीबीआई जांच का आदेश दिया क्योंकि कुछ भी नहीं किया जा सकता था।
उनका कहना था कि यह मामला बांग्लादेश भी जुड़ा हुआ लगता है. इसलिए, न्यायाधीश ने महसूस किया कि इस मामले में जांच में समन्वय के लिए सीबीआई जांच आवश्यक है और उन्होंने सीबीआई जांच का आदेश दे दिया था।