उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म पर टिप्पणी को लेकर गहराया विवाद

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तमिल नाडु/रांची : अब देश में न ही रोटी की बात होती और न ही देश में गरीबों की बात होती, बात होती है तो धर्म की होती है. लेकिन भगवान् तो सभी धर्मो के है जिन्होंने पृथ्वी पर निवास करने वाले सभी प्राणियों में जान दिया है उनके लिए हम कुछ कैसे कर सकते हैं. उनको कोई कैसे सीमित कर सकता है.जिन्होंने पूरे सृष्टि का निर्माण किया है. जिन्होंने हमें बनाया है और उनके लिए हम कुछ कैसे तय कर सकते है. की क्या सही है? क्या गलत है? उनके लिए निर्णय लेने वाले हम इंसान कौन है. अब देश में हिंसक भावना इतनी बढ़ गयी है की कोई किसी का सर कलम करने की घोसना कर रहा तो कोई पुतला दहन कर रहा. तो कोई भारत और INDIA की लड़ाई में व्यस्त है.

वहीं कुछ लोग पृथ्वी पर निवास करने वाले लोगों को दान देने और खिलाने में व्यस्त हैं.बता दे की इन दिनों देश में भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म पर टिप्पणी को लेकर लोग विरोध कर रहे है. उदयनिधि स्टालिन ने तीन दिन पहले एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, “ऐसी कुछ चीज़ें होती हैं, जिनका विरोध करना काफ़ी नहीं होता, हमें उन्हें समूल मिटाना होगा. मच्छर, डेंगू बुख़ार, मलेरिया, कोरोना ये ऐसी चीज़ें हैं, जिनका हम केवल विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना होगा.

सनातन भी ऐसा ही है.” उनकी ये टिप्पणी वाकई गलत है क्यूंकि धर्म व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारत के संविधान द्वारा अनुच्छेद 25 में धर्म की स्वतंत्रता का उल्लेख किया गया है. धर्म नितांत निजी मामला है हर व्यक्ति किसी भी धर्म और किसी भी पूजा पद्धति को मानने के लिए स्वतंत्र है. इसीलिए इन बातो पर टिप्पणी करना ही गलत है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं की हमें हक़ मिल जाता किसी की गलती करने पर उसका सर कलम करने की. बहरहाल, इस विवाद के लिए समाज के प्रबुद्ध लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि कैसे इसपे विराम दिया जाए. बात, रोटी, कपड़ा और मकान की होनी चाहिए ताकि इंसान अपना जीवन सुखमय कर सके. लेकिन यह विवाद चरम पर जा चुका है.

 

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