कोलकाता, सूत्रकार : एक ओर जहां दक्षिणी राज्यों से लगातार जेएन-1 कोविड के नये वेरिएंट से चिंता बनी हुई वहीं, बंगाल में एक राहत भरी खबर आयी है। दक्षिणी राज्यों से आने वाली खबरों को देखने के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अपनी कमर कस ली थी और पूरे राज्य पर पैनी जर बनायी हुई है। इस बीच स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक राहत भरी खबर आयी है।
अधिकारी के अनुसार, अब तक जेएन-1 मुक्त बंगाल है। कोविड के नये वेरिएंट किसी भी व्यक्ति के शरीर में नहीं पाये गये हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य भवन ने 30 सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स को भेजे थे। इनमें से सात नमूने समकालीन थे। यानी वे नवंबर-दिसंबर के थे। 30 सैंपल में से 23 सैंपल सितंबर के हैं। वहां से आयी रिपोर्टों से पता चला है कि किसी भी नमूने में जेएन-1 वेरिएंट नहीं है। यह एक राहत भरी बात है। इस बीच, नए सब-वेरिएंट JN.1 ने कोविड की नई लहर के आगमन को लेकर चिंता बढ़ा दी है। हालांकि नई रिपोर्ट आने से बंगाल के स्वास्थ्य क्षेत्र को थोड़ी राहत मिली है। फिर भी, हर कोई इस बात से सहमत है कि सावधानी जरूरी है। क्रिसमस खत्म हो गया है, बंगाल नए साल का जश्न मनेगा। इसलिए जानकार हलकों का मानना है कि कोरोना से बचाव के लिए निगरानी पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।
इस बीच, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे कई दक्षिणी राज्यों में चेतावनी जारी की गई है क्योंकि कोविड के नए वेरिएंट का प्रसार बढ़ रहा है। इन राज्यों में बंगाल के कई प्रवासी मजदूर काम करते हैं। इससे चिंता अब बढ़ सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि नए वैरिएंट की मारक क्षमता कम है।
जेएन.1 क्या है ?
डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन सेंटर (सीडीसी) के मुताबिका कोरोना का यह सबवेरिएंट, ओमिक्रॉन सबवेरिएंट बीए.2.86 का वंशज है, जिसे ‘पिरोला’ भी कहा जाता है। वैज्ञानिकों की मानें, तो जेएन.1 और बीए.2.86 के बीच केवल एक ही बदलाव है और वह है स्पाइक प्रोटीन में बदलाव। स्पाइक प्रोटीन जिसे स्पाइक भी कहा जाता है। यह वायरस की सतह पर छोटे स्पाइक्स जैसा दिखाई देता है। इसी वजह से लोगों में वायरस का संक्रमण ज्यादा तेजी से होता है।
क्या है लक्ष्ण
-बुखार
-लगातार खांसना
-जल्दी थकान होना
-नाक बंद या जाम हो जाना
-नाक का बहना
-दस्त
-सिर में दर्द
कितना खतरनाक है नया वेरिएंट
फिलहाल, जेएन.1 को लेकर कोई विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है। सीडीसी की मानें तो इस वेरिएंट के बढ़ते मामलों को देख यह कहा जा सकता है कि या तो यह ज्यादा संक्रामक है या फिर यह हमारे इम्यून सिस्टम से आसानी से बच सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि मौजूदा समय में इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जेएन.1 वर्तमान में मौजूद कोरोना के अन्य वेरिएंट की तुलना में ज्यादा खतरनाक है या नहीं।
नई वैक्सीन की जरूरत नहीं
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अभी इसके लिए नई वैक्सीन की जरूरत नहीं है। इस बीच, पिछले सप्ताह आठ कोविड-19 मामलों के बाद इस सप्ताह कोलकाता में चार और कोविड-पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। सभी का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है।