कोलकाता, सूत्रकार : दिसंबर महीने में सितंबर की यादें व्यावहारिक रूप से ताजा हो गयी। शनिवार को कोलकाता नगर निगम में मासिक अधिवेशन के दौरान एक बार फिर हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष खेमे में फिर से नोकझोंक हुई। शनिवार को ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि सत्र को बीच में ही रोकना पड़ा। पूर्व मेयर परिषद व टीएमसी पार्षद शम्सुज्जमां अंसारी देर से सत्र कक्ष में आये। इसके बाद, वह विपक्ष के लिए आवंटित जगह पर जाकर बैठ गये। यह जगह भाजपा पार्षद दल की नेता मीनादेवी पुरोहित को आवंटित किया गया है।
कथित तौर पर जब शम्सुज्जमां अंसारी उस स्थान पर बैठे तो हंगामा शुरू हो गया। विपक्ष के पार्षद उनसे बार-बार कहते रहे कि यह मीनादेवी पुरोहित का स्थान है। कथित तौर पर तब भी शम्सुज्जमां ने मीनादेवी पुरोहित की मेज पर रखे सारे कागजात और किताबें रख दीं और पास वाली सीट पर बैठ गयी। विपक्ष का आरोप है कि दरअसल सत्ता पक्ष के पार्षदों ने वो कागजात फेंक दिये। तभी सजल घोष, विजय ओझा और मधुचंदा देव ने कथित तौर पर हस्तक्षेप किया लेकिन पूर्व मेयर परिषद ने उनकी एक नहीं सुनी।
इसके बाद, विपक्ष लेफ्ट और बीजेपी की ओर से नारेबाजी शुरू हो गई। उनके बगल में खड़े तृणमूल पार्षद तपन दासगुप्ता और असीम बसु भी पीछे खड़े हो गये। दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। चेयरपर्सन को सत्र का कामकाज व्यावहारिक रूप से रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा। दोनों पक्ष नारेबाजी करने लगे। हालांकि सत्ता पक्ष के पार्षदों ने दोनों पक्षों के बीच जाकर उन्हें चुप करा दिया। परेशानी के बाद तृणमूल पार्षद अरूप चक्रवर्ती ने अपनी सीट छोड़ दी और शम्सुज्जमां अंसारी को वहां बैठने दिया।