कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना भ्रष्टाचार मामले की जांच करने का निर्देश जिला मजिस्ट्रेट को दिया है। जानकारी के अनुसार, उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार हुआ है। मामले की सुनवाई मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई। खंडपीठ ने पीएम आवास योजना को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश सुनाया।
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मंगलवार को सुनवाई में कई शिकायतों के मद्देनजर दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट को जांच करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। साथ ही, डीएम को छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपने को कहा गया। वहीं, सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सही व्यक्ति को नहीं मिल रहा है लेकिन जो लोग इस योजना के तहत नहीं आ रहे हैं, उनके नाम पर पैसा आवंटित कर दिया गया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति के कई खातों में पैसा जा रहा है। कई मामलों में धन आवंटित किये गये हैं, लेकिन पैसा नहीं पहुंचा है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि कई लोगों के नाम अवैध रूप से सूची में शामिल किए गए हैं जिससे असली हकदार वंचित हो गए हैं। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने दक्षिण 24 परगना के जिला कलेक्टर को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि इससे पहले मुर्शिदाबाद में कांदी नगर पालिका की आवास योजना में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। कलकत्ता हाई कोर्ट ने नगर पालिका से रिपोर्ट मांगी थी। बता दें कि विपक्ष की ओर से भी लगातार पीएम आवास योजना को लेकर धांधली का आरोप लगते रहे हैं। विपक्षी पार्टी विशेषकर बीजेपी ने आरोप लगाया है कि बंगाल में पीएम आवास योजना के नाम बदल कर बांग्ला आवास योजना कर दिया गया है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार राज्य में चलने वाली केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर पक्षपात कर रही है। मनरेगा सहित कई केंद्रीय योजनाओं के पैसे रोक दिये गये हैं। हालांकि विपक्ष का आरोप है कि ममता बनर्जी की सरकार की ओर से आवंटित धन का हिसाब नहीं दिया गया है। बंगाल में 100 दिनों के कार्य में काफी भ्रष्टाचार के आरोप हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं को लाभान्वित किया जा रहा है।