बोलने की आजादी पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए : CV आनंद बोस
लगभग सभी भाजपा विरोधी दल राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने की आलोचना कर रहे हैं
कोलकाता: लोकसभा में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की सदस्यता खारिज कर दी गई है। कांग्रेस पूरे देश में संकल्प सत्याग्रह आंदोलन में उतर आई है। तृणमूल सहित लगभग सभी भाजपा विरोधी दल राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने की आलोचना कर रहे हैं।
इस संदर्भ में राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी से किसी भी तरह का समझौता अनुचित है। राज्यपाल के इस बयान को लेकर तरह-तरह के राजनीतिक चर्चे शुरू हो गयीं हैं।
इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन की 100वीं वार्षिकी के अवसर पर राज्यपाल ने रविवार को कलकत्ता प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत जैसे किसी भी लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने बड़े ही महत्वपूर्ण अंदाज में कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में बोलने की आजादी पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर राजनीति के विषय पर कोई टिप्पणी नहीं की।
राजनीति के बारे में सवाल पूछने पर राज्यपाल चुप्पी साध गए। हालांकि, कई लोग राज्यपाल बोस की टिप्पणियों को इस माहौल में अलग तरीके से व्याख्या कर रहे हैं।
राहुल-विवाद के मद्देनजर राज्यपाल के बयान से एक नई प्रासंगिकता मिल गई है। जनसभा में की गई टिप्पणियों के कारण अगर राहुल गांधी का सांसद पद खारिज किया जाता है तो सवाल उठता है कि क्या इसके लिए बाकी राजनीतिक दल भी दोषी हैं।
इसी तरह सार्वजनिक बोल के माध्यम से किसी विशेष जाति, समुदाय या व्यक्ति को निशाना बनाना भारतीय संसदीय राजनीति के इतिहास में कोई नई बात नहीं है। क्या ऐसे में अभिव्यक्ति की आजादी को माफ किया जा सकता है? यह प्रश्न भी बहुत प्रासंगिक है।
गौरतलब है कि हाल ही में पूरे देश में अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर हंगामा हो रहा है। बीजेपी के एक विधायक ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक की एक रैली में मोदी विरोधी टिप्पणी के लिए गुजरात की एक अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उस मामले में कोर्ट ने राहुल को 2 साल की सजा सुनाई है। इस वजह से राहुल गांधी का लोकसभा सांसद पद रद्द कर दिया गया है।