कोलकाता: 2021 की तुलना में साल 2022 में साइबर फ्रॉड के मामले हुए कम

शिकायतें आती है लेकिन एफआईआर नहीं दर्ज करवाते हैं लोग- पुलिस

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कोलकाता : तकनीकी की दुनिया में हर कोई आगे बढ़ रहा है। घंटों के काम को तकनीकी के जरिए कुछ ही मिनट में कर लिया जा रहा है।

तकनीकी के इस्तेमाल ने जितना लोगों के काम को आसान किया है तो वहीं तकनीकी के कारण साइबर फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। लालबाजार के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान साइबर फ्रॉड के मामलों में इजाफा हुआ था क्योंकि उस दौरान लोग ज्यादा से ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे।

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अज्ञानतावश वे साइबर फ्रॉड का शिकार भी हो रहे थे। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि साइबर फ्रॉड के मामले में अभी सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि लोग साइबर क्राइम को लेकर शिकायत तो करते हैं लेकिन एफआईआर नहीं दर्ज करवाते हैं।

ऐसे में ये कहना बेहद मुश्किल है कि साइबर क्राइम घटा है या बढ़ा है। हालांकि दर्ज मामलों के आंकड़ों पर नजर डाले तो साल 2021 की तुलना में साल 2022 में साइबर फ्रॉड के मामले कम हुए हैं।

साल 2022 में दर्ज हुए केवल 212 मामले

ज्वाइंट कमिश्नर (क्राइम) मुरलीधर शर्मा ने बताया कि साल 2021 में साइबर फ्रॉड के 220 मामले दर्ज किये गये थे जबकि साल 2022 में साइबर क्राइम के 212 मामले दर्ज हुए हैं।

वहीं उन्होंने बताया कि साल 2021 में साइबर फ्रॉड के 3967 शिकायतें आयी थी जबकि साल 2022 में 2700 शिकायत मिली। उन्होंने कहा कि हालांकि इन शिकायतों को लेकर कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गयी हैं।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जितने मामले हुए हैं उनमें से 20 से 25 प्रतिशत रुपये को अकाउंट में ही अटकाने में सफलता मिली है।

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि साइबर फ्रॉड के शिकार के लोगों को केवल अपने रुपये से मतलब होता है। रुपये मिलने पर वे शिकायत नहीं करवाते हैं।

फर्जी प्रोफाइल बनाने व बदनाम करने के 50 प्रतिशत मामले आये हैं सामने
लालबाजार के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जितने भी मामले दर्ज हुए हैं उनमें 50 प्रतिशत मामले फर्जी प्रोफाइल बनाकर बदनाम करने के हैं।

वहीं 10 प्रतिशत मामले सेक्सटॉर्शन की है जबकि 10 प्रतिशत हैकिंग संबंधित मामले हैं। वहीं बाकी 30 प्रतिशत मामले सोशल इंजीनियरिंग फ्रॉड (ओटीपी, केवाईसी सहित तरीके से फोन कर ठगी) के हैं।