आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद की 200 वीं जयंती डीएवी स्कूल में मनाई गई

डीएवी स्कूल बरियातू का भी 150 साल पूरे

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रांची : महर्षि दयानंद सरस्वती के 200 वीं जयंती और बरियातू डीएवी स्कूल के 150 साल पूरे होने पर छात्र-छात्राओं के द्वारा हवन , स्तुति, भजन और नाट्य प्रस्तुत किया गया । इस मौके पर डीएवी के छात्र-शिक्षकों ने अपने-अपने विचार भी रखा । आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती के के द्वारा स्थापित आर्य समाज के आदर्शों पर ही डीएवी स्कूल संचालित किया जाता है । इसलिए उनकी जयंती पर हर साल हवन, भजन, वंदना, नाट्य प्रस्तुत किया जाता है ।

डीएवी स्कूल का 150 साल पूरा 

बरियातू डीएवी के प्राचार्य बीके पांडेय ने बताया कि इस साल दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती वर्ष शुरू हो रहा है । साथ ही बरियातू डीएवी के स्थापना का भी 150 साल भी हो रहा है । इसलिए बरियातू डीेवी में दयानंद की जयंती पर शिक्षक और छात्र-छात्राओं में काफी उत्साह है । शिक्षिका सुमन झा ने बताया कि आज पूरे विश्व में दयानंद सरस्वती की विश्व बंधुत्व की भावना काफी प्रासंगिक हो गया है । खासतौर पर अपने देश भारत में  महर्षि दयानंद के उपदेश को मानना और भी जरूरी हो गया है. आर्य समाज के दस नियमों का पालन हर भारतीय को करना चाहिए, ताकि हमारी एकता और भाईचारा मजबूत हो सकें ।

स्वतंत्रता आंदोलन के साथ धार्मिक आंदोलन 

विधालय के ही एक शिक्षक  प्राणाशीष चंद्र रिंकू ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय जब देश में कई समाजिक बुराईयां चरम पर थी, तब सती प्रथा, बाल विवाह,नारियों के बीच शिक्षा को लेकर दयानंद सरस्वती ने स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ धार्मिक आंदोलन की भी शुरूआत की थी, जिसका नतीजा और डीएवी स्कूल के रूप में पूरे विश्व के सामने है । डीएवी स्कूल में पढने वाले छात्र इसी परंपरा का निर्वाह भी करते हैं ।

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