मनरेगा से मोबाइल हाजरी रद्द करने की मांग की

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चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम के ज़िला ग्राम पंचायत मुखिया संघ ने 7 मई 2023 को अर्जुन मुंडा, केंद्रीय जनजातिय कार्य मंत्री व 8 जून को सांसद गीता कोड़ा से मुलाकात करके ज़िला में मनरेगा में हो रही समस्याओं को साझा किया. संघ की ओर से गिरिराज सिंह, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री को संबोधित सलग्न मांग पत्र भी केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा व सांसद गीता कोड़ा को दिया गया व अनुरोध किया गया कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री तक मांगों को पहुंचाया जाए. मुखिया संघ के प्रतिनिधियों ने कहा पश्चिमी सिंहभूम जैसे सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े ज़िले के लिए मनरेगा जीवनरेखा समान है. जब से कानून बना है, यह ग्रामीण मज़दूरों के लिए रोज़गार का एक बड़ा साधन है. साथ ही, पिछले 16 सालों में मनरेगा से क्षेत्र में अनेक परिसंपत्तियों जैसे – कुआँ, कच्ची सड़क, नाली, तालाब व आम बगान – का निर्माण हुआ है. लेकिन कई समस्याओं के कारण कार्यक्रम के कार्यान्वयन में जन प्रतिनिधियों को काफी परेशानी हो रही है जिसके कारण मज़दूरों को पर्याप्त रोज़गार नहीं मिल पा रहा है. समय पर FTO के अनुमोदन के बावज़ूद मज़दूरों को ससमय मज़दूरी भुगतान नहीं मिल रही है.

 

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हाल में लागू किए गए राष्ट्रीय मोबाइल मोनिटरिंग प्रणाली (NMMS) के कारण मज़दूरों की उपस्थिति दर्ज करने में बहुत समस्या हो रही है. विभिन्न तकनीकि समस्याओं व इन्टरनेट नेटवर्क की अनुपलब्धता के कारण कई बार न हाजरी चढ़ पाती है और न फोटो. कई बार तो मोबाइल एप खुलता तक नहीं है. मज़दूरों द्वारा 6 दिनों पूरा काम करने के बावज़ूद कई बार इस एप में पूरी हाजरी नहीं चढ़ पाती है. इसके कारण अनेक मज़दूर अपनी मज़दूरी से वंचित हो रहे हैं. आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) की अनिवार्यता के कारण भी अनेक मज़दूरों को काम करने के बाद मज़दूरी नहीं मिल रही है. अगर मस्टर रोल में कुल मज़दूरों में केवल एक भी ABPS लिंक्ड नहीं है, तो सभी मज़दूरों का भुगतान रोक दिया जा रहा है. अनेक मज़दूरों का बैंक खाते, आधार और जॉब कार्ड में नाम के स्पेल्लिंग में फर्क होने के कारण उनका ABPS लिंक होने में समस्या होती है. साथ ही, आधार भुगतान में कई प्रकार की अनिश्चितता होती है जैसे किसी दूसरे खाते में पैसा चला जाना, भुगतान रिजेक्ट हो जाना आदि. संघ ने यह भी कहा पिछले कई वर्षों से यह भी देख जा रहा है कि साल के पहले 5-6 महीने ख़तम होने के बाद केंद्र से फण्ड कई बार रुकता है – कई सप्ताह तक के लिए – जिसके कारण काम रुक जाता है. हालाँकि मनरेगा कानून अनुसार तो मुख्यतः ग्राम पंचायतों को ही कार्यक्रम का कार्यान्वयन करना है, लेकिन अब फण्ड एवं कार्यान्वयन सम्बंधित अधिकांश निर्णय व प्रक्रिया पंचायतों के हाथों में नहीं है. संघ ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से मांग किया है कि हाल में लागू किए गए NMMS व ABPS को रद्द किया जाए एवं कि मनरेगा फण्ड को कानून की सोच अनुरूप विकेंद्रीकृत कर ग्राम पंचायतों को दिया जाए. संघ ने पत्र के माध्यम से राज्य सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.