कोलकाता: कोलकाता की हृदयस्थली कहे जाने वाले धर्मतल्ला को बसों के जमघट से मुक्त करने की कवायद शुरू की गई है। डेढ़ दशक पूर्व के पर्यावरण संबंधित कानूनी निर्देशों को लागू करने के लिए अब कोर्ट ने पहल की है। 2007 में, उच्च न्यायालय ने विक्टोरिया मेमोरियल को बचाने के लिए एस्प्लेनेड से बसों के काउंटर को हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद 2011 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस हेरिटेज बिल्डिंग के आसपास ट्रैफिक कम करने का आदेश दिया था लेकिन यह अमल में नहीं लाया जा सका। उल्टे धर्मतल्ला में निर्माणाधीन मेट्रो परियोजना के लिए एक बहुमंजिला पार्किंग प्रणाली की योजना बनाई गई है।
यहां पास में मौजूद विक्टोरिया मेमोरियल हॉल के मार्बल पर ट्रैफिक प्रदूषण के संभावित दुष्प्रभाव को कम करने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक और पहल की है। यह सेना के अधिकार क्षेत्र में है इसलिए अदालत ने सेना की राय भी मांगी है।
कोर्ट ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईआरआई) से धर्मतल्ला या बाबूघाट में एक बहुमंजिला बस पार्किंग प्रणाली के निर्माण की संभावनाओं को देखने के लिए भी कहा है। शनिवार को एनईआरआई (निरी) के कुछ विशेषज्ञों ने इस मसले पर आपस में बातचीत की।इससे पहले शुक्रवार को न्यायमूर्ति देबांशु बसाक और न्यायमूर्ति शंपा सरकार की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई।
उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को यह जानना चाहा कि शहर के केंद्र में प्रदूषण को कम करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक क्या उपाय किए हैं। कोलकाता ट्रैफिक पुलिस से यह भी पूछा गया कि क्या भीड़भाड़ कम करने के लिए ट्रैफिक फ्लो प्लान फिर से शुरू किया गया है।
साथ ही विक्टोरिया से सटे इलाके के ट्रैफिक सिग्नल को इस तरह से विकसित करने को कहा गया है कि बसें न रुके और न ही वाहन ज्यादा देर तक खड़ा रहे। वाहनों को रोकने का मतलब है आस-पास के इलाकों में धुंध और प्रदूषण बढ़ना। इसीलिए कोर्ट ने यहां बसों के काउंटर हटाने के लिए विचार करने को कहा है।