डायरी और रजिस्टर भ्रष्टाचार की जांच में अहम कड़ी : ईडी

बालू के 20 करीबी लोगों के मोबाइल फोन जब्त

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कोलकाता, सूत्रकार : मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक की गिरफ्तारी के बाद राशन वितरण भ्रष्टाचार मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) धीरे-धीरे अपना जाल फैला रही है। जांच में सामने आई मैरून रंग की डायरी का रहस्य बरकरार है। उस डायरी में ”बालूदा” लिखा हुआ है। ज्योतिप्रिय का उपनाम बालू है। उन्हें इसी नाम से ज्यादा जाना जाता है। उस डायरी के अलावा जांचकर्ताओं को एक और डायरी मिली है। इसके साथ ही ईडी अधिकारियों के हाथ एक रजिस्टर भी लगा है। राशन वितरण के मामले में निचले स्तर पर कैसे लेन-देन हुआ, इसकी भी जानकारी है। साथ ही, खरीद खाते की भी जानकारी दर्ज है।

जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि डायरी और रजिस्टर की ये जोड़ी अब इस भ्रष्टाचार की जांच में ‘टूल्स’ बन सकती है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, इस भ्रष्टाचार की जांच के लिए 11 अक्टूबर को सर्च ऑपरेशन चलाया गया था। उस दिन एक आदमी के घर की तलाशी ली गई। उस ऑपरेशन में एक डायरी बरामद हुई थी। जांचकर्ताओं ने दावा किया है कि डायरी भ्रष्टाचार से भरी है। ईडी ने दावा किया कि वह व्यक्ति अवैध रूप से राशन व्यापार में शामिल था। उनका बयान रिकॉर्ड किया गया। डायरी में अवैध राशन खरीद का हिसाब-किताब है। वह व्यक्ति सरकार द्वारा पंजीकृत राशन डीलरों से विभिन्न वस्तुएं खरीदता था। ईडी का दावा है कि डायरी में किससे खरीदारी हुई और लेनदेन का हिसाब-किताब दर्ज है। जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि यह डायरी राशन वितरण भ्रष्टाचार मामले में अहम भूमिका निभा सकती है। हालांकि, जांच के लिए ईडी ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह शख्स कौन है।

11 अक्टूबर को तलाशी के दौरान ईडी अधिकारियों ने एक रजिस्टर भी जब्त किया था। दावा है कि उस रजिस्टर में किसे भुगतान किया गया, कौन अवैध गतिविधियों में शामिल है, इससे जुड़ी जानकारी अंकित है। 26 तारीख को हावड़ा में ज्योतिप्रिय के करीबी माने जाने वाले अभिजीत दास के घर की भी तलाशी ली गई। अभिजीत के घर से रहस्यमय मैरून डायरी बरामद हुई थी। ईडी का दावा है कि डायरी पर ‘बालूदा’ लिखा हुआ है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आगे दावा किया कि डायरी में अलग-अलग तारीखों पर बड़ी मात्रा में पैसे के लेनदेन का विवरण है। डायरी में यह भी जिक्र है कि किससे पैसे लिए गए हैं और किसे पैसे दिए गए हैं।

करीबियों के 20 से अधिक मोबाइल जब्त

बालू के करीबियों के 20 से अधिक मोबाइल जब्त किए गए हैं। ईडी के अधिकारी ​​मोबाइल को डी-कोड कर जानकारी तलाश रही हैं। इस मोबाइल के अंदर भ्रष्टाचार की चाबी छुपी हो सकती है। खुफिया अधिकारी ऐसा सोचते हैं। इससे पहले ईडी ने दावा किया था कि बाकीबुर रहमान के करीबी के मोबाइल फोन के व्हाट्सऐप चैट से ज्योतिप्रिय मल्लिक को लाखों रुपये भेजने की चैट मिली थी। ऐसे में अधिकारियों ने जांच की गति बनाए रखने के लिए मंत्री के 20 और मोबाइल फोन जब्त कर लिए हैं। माना जा रहा है कि अगर इस डेटा को रिकवर किया जा सके तो मोबाइल से भ्रष्टाचार के कई राज और जानकारियां मिल सकती हैं।

फर्जी कंपनियों के जरिए काला धन हुआ सफेद

राशन भ्रष्टाचार से करोड़ों के काले धन की तस्करी के लिए फर्जी कंपनियों का जाल बिछा है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों की नजर कम से कम 10 और फर्जी कंपनियों पर है। बालू के पूर्व सहायक अभिजीत दास से उनकी मां और पत्नी के नाम का इस्तेमाल कर पैसा लिया गया। अधिकारी ने बताया कि अभिजीत दास की मां ममता और पत्नी सुकन्या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल की गई तीन कंपनियों में से दो की निदेशक थीं।

अभिजीत का हावड़ा का पता तीनों एजेंसियों के पास दर्ज है। बताया जाता है कि अभिजीत खुद मंत्री की बेटी और पत्नी वाली एक कंपनी के निदेशक थे। माना जा रहा है कि एक के बाद एक फर्जी कंपनियां खोलकर और मकड़जाल के जरिए संपत्तियां खरीदकर पैसों की हेराफेरी की गई। इस बीच, जिन फर्जी कंपनियों के नाम सामने आ रहे हैं, उनमें ज्योतिप्रिय मल्लिक की पत्नी और बेटी पहले निदेशक थीं। ईडी ने शुरुआत में इन कंपनियों की पहचान कर ली है।

पार्षदों के खाते में राशन चोरी का पैसा?

राशन वितरण भ्रष्टाचार मामले में ईडी पूर्व खाद्य मंत्री और वर्तमान वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के करीबी पार्षदों की सूची तैयार कर रहा है। उत्तर 24 परगना की 27 नगरपालिकाओं में ज्योति के करीबी पार्षदों की सूची बन रही है। वह एक समय उत्तर 24 परगना जिला तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष थे। फिर खाद्य मंत्री बने। वर्तमान में वन मंत्री हैं। स्वाभाविक रूप से वह जिले के कई पार्षदों के संपर्क में थे। ईडी अधिकारियों को पता चला है कि इन पार्षदों के खातों में कई वित्तीय लेन-देन हुए हैं। इसी वजह से ईडी के जासूस 27 नगरपालिकाओं के करीब 75-80 पार्षदों की सूची तैयार कर रहे हैं। केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, इन सभी पार्षदों के बैंक खातों से लेकर उनकी आय-व्यय और संपत्ति के खातों की जांच की जाएगी। जरूरत पड़ी तो उनसे पूछताछ भी की जायेगी।