मेदिनीपुर से उम्मीदवार नहीं बनाए जा सकते हैं दिलीप घोष

सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया की सीट दुर्गापुर-बर्दवान हो सकती है उनका पड़ाव

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कोलकाता, सूत्रकार : चुनाव से पहले दिलीप घोष को तृणमूल कांग्रेस से नहीं बल्कि पार्टी की अंदरूनी लड़ाई में हारना पड़ा है। अगर अंतिम समय की योजना में कुछ “नाटकीय” नहीं हुआ, तो उन्हें मेदिनीपुर लोकसभा सीट पर दूसरी बार लड़ने का मौका नहीं मिल रहा है।

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक इस सीट से उम्मीदवार के तौर पर पूर्व आईपीएस भारती घोष का नाम सबसे आगे हैं। फिलहाल अभी आधिकारिक घोषणा का इंतजार है। यह भी पता चला है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने दिलीप घोष को दूसरी सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला कर लिया है।

यदि इसे लागू किया जाता है, तो दिलीप का बर्दवान-दुर्गापुर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार होना तय माना जा रहा है। ऐसे में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया की किस्मत अधर में लटक गई है। उन्हें नामांकित किया जाएगा या कोई अन्य सीट दी जाएगी, यह अभी तय नहीं हुआ है। हालांकि, बीजेपी सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार तक बीजेपी अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर देगी।

2019 में तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने पहली बार मेदिनीपुर में लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने तृणमूल के मानस भुइयां को करीब 89,000 वोटों से हराया था। दूसरी ओर, बर्दवान-दुर्गापुर सीट पर बीजेपी के अहलूवालिया ने तृणमूल की मुमताज संघमित्रा को महज 2,439 वोटों से हराया था। ऐसे में वह सीट मेदिनीपुर की तुलना में बीजेपी के लिए काफी ‘मुश्किल’ है।

नतीजतन, मौजूदा हालात में प्रदेश भाजपा के इतिहास में ‘सफल’ अध्यक्ष दिलीप को ‘ज्ञात और आसान’ क्षेत्र के बजाय ‘कठिन और अज्ञात’ क्षेत्र से ताल ठोकना पड़ेगा। पिछले लोकसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में बीजेपी ने मेदिनीपुर समेत 18 सीटें जीती थीं। उससे पहले बंगाल में पार्टी के सांसदों की संख्या सिर्फ दो थी।

अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या दिलीप मान जायेंगे? कुछ दिन पहले तक उनके समर्थक कह रहे थे कि अगर ऐसा हुआ तो दिलीप चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन अब वे कुछ और ही कह रहे हैं।

‘दिलीप के करीबी’ माने जाने वाले राज्य भाजपा के एक नेता ने कहा कि दिलीप आगे की सोचते हैं। संगठन व्यक्ति से बड़ा होता है। उससे भी बड़ा राज्य। ऐसे सिद्धांतों पर विश्वास करते हुए दिलीप पार्टी के फैसले को जरूर स्वीकार करेंगे। दोनों सीटों पर अभी उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की गई है लेकिन केंद्रीय नेतृत्व दिलीप को जिस भी सीट पर भेजेगा, वह लड़ेंगे और जीतेंगे।