सैंकड़ों हाथ बेरोजगार
पलायान का मन बना रहे हैं उद्योगपति
रांचीः झारखंड सरकार जहां एक ओर नये-नये उद्योगों को लगाने के लिए समय – समय पर उद्योगपतियों को लुभाने के लिए समिट करते रहती है। उन्हें तरह-तरह की सुविधाएं देने का वायदा करती है। लेकिन दूसरी तरफ राज्य में लगे पुराने उद्योग-धंधों पर कोई ठोस ध्यान नहीं देती, जिसके कारण पुराने उद्योग-धंधों का दम घुंट रहा है। कई उद्योग बंदी के कगार पर हैं तो कई बंद हो गये हैं।
राज्य के सरायकेला व पूर्वी सिंहभूम जिला में बिजली की आंख मिचैली के कारण 20 उद्योग बंद हो गये हैं। जिससे इस क्षेत्र में बडे़ पैमाने पर लोगों के हाथ से रोजगार भी छिन गया है। बेरोजगार लोग उहापोह की स्थिति में जी रहे हैं और प्रदेश के बिजली विभाग को कोस रहे हैं।
उद्योगपतियों की मानें तो राज्य में दो – तीन तरह से बिजली का वितरण किया जाता है। बिजली का प्रकार एक ही है लेकिन दर अलग- अलग है। झारखंड सरकार के नियमानुसार डीवीसी प्रदेश के मात्र सात जिलों में ही बिजली का सप्लाई करता है।
अन्य जिलों में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड बिजली देता है। डीवीसी का बिजली दर 3.75 रुपये है तो झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड 5.50 रुपये प्रति यूनिट है। बिजली दर में भारी असमानता के कारण उद्योगपतियों के हालत खासता हैं।
उद्योगपति यह भी कहते हैं कि राज्य में उद्योगों को जिंदा रखना है या नये उद्योग लगाना है तो सरकार को बिजली दर में समानता लाने की जरूरत है।
बंद होने वाले उद्योग
गुल मोहर स्टील, हरिओम स्मेलटर, हिमाद्री स्टील, जगदंबा इंगोटेक स्टील, कमसा स्टील, लाँर्ड बालाजी मैनुफैक्च्रींग स्टील, मेकर कास्टिंग, नानक इस्पात, नरेडी इंटरनेशनल, ओम मेटल, पसारी कास्टिंग, शंकर फेररो एलाय, श्री दादीसाह मेटल, श्यामल आयरन एंड स्टील, सतन कोमोडिटिज, सुख सागर मेटल, वनांचल स्टील एलाय और बाबूभाई मेटल शामिल हैं।