कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार को पेशेवर तरीके से अंजाम दिया गया है। मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दावा किया है कि परीक्षार्थियों को अपने जाल में फंसाने के लिए इस मामले में गिरफ्तार किए गए पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी सहित अन्य आरोपितों ने शिक्षा परिषद की डुप्लीकेट वेबसाइट बनवाई थी। उस वेबसाइट पर वे सारे तथ्य अपलोड किए जाते थे जो परीक्षार्थी जानना चाहते थे।
सीबीआई की ओर से गुरुवार को कोर्ट में दी गई एक लिखित रिपोर्ट के अनुसार यह भी पता चला है कि डुप्लीकेट वेबसाइट के जरिए उम्मीदवारों की मेरिट लिस्ट भी जारी की जाती थी और उसी मेरिट लिस्ट को बाद में असली वेबसाइट पर अपलोड किया जाता था।
यानी डुप्लीकेट वेबसाइट से असली वेबसाइट मॉनिटर होती थी। अब इस संबंध में विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिए सीबीआई गूगल को पत्र लिखने जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन से इस संबंध में पूरी जानकारी हासिल की जाएगी।
पता चला है कि दो वेबसाइट का इस्तेमाल किया गया है। एक पर स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की जानकारी अपलोड की जाती थी और दूसरे पर माध्यमिक शिक्षा परिषद की।
इनमें बड़े पैमाने पर शिक्षा परिषद से जुड़े अधिकारियों के भी शामिल होने के साक्ष्य मिले हैं। इसे इतना पेशेवर तरीके से तैयार किया गया था कि असली और डुप्लीकेट वेबसाइट में कोई अंतर नहीं था।
यानी जिन लोगों ने असली वेबसाइट को मॉनिटर किया था उन्होंने ही डुप्लीकेट को भी बनाने में मदद की थी। इस संबंध में एक लिखित रिपोर्ट कोर्ट को दी गई है।