कोलकाताः राज्य में स्कूल भर्ती धांधली मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) के कार्याय में इस धांधली की प्रथमिक योजना बनायी गयी थी।
इस योजना में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक माणिक भट्टाचार्य और पार्टी के विश्वासपात्र सुजय कृष्ण भद्र उर्फ कालीघाट के कालू शामिल थे। भर्ती धांधाली मामले में ईडी ने भद्र से 12 घंटे की मैराथन पूछताछ के बाद मंगलवार रात केंद्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया था।
भद्र के लिए ईडी के रिमांड पत्र में उल्लेख किया था कि डब्ल्यूबीबीपीई कार्यालय में प्राथमिक योजना बनायी गयी थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डब्ल्यूबीबीपीई कार्यालय में माणिक भट्टाचार्य और सुजय कृष्ण भद्र के बीच नियमित बैठक होती थी, जहां प्राथमिक शिक्षकों के रूप में नौकरियों के लिए पैसे देने के इच्छुक अभ्यार्थियों की सूची लेकर आते थे।
ईडी ने पहले ही भद्र के बयानों का खंडन किया है कि उनका माणिक से परिचय 2021 में हुआ था। जबकि बरामद व्हाट्सएप चैट इतिहास से संकेत मिलता है कि बातचीत 2018 में हुई थी। जबकि भद्र अभी ईडी की हिरासत में हैं, भट्टाचार्य अपनी पत्नी और बेटे के साथ न्यायिक हिरासत में हैं।
सूत्रों के मुताबिक भद्र और उनके करीबी सहयोगियों के आवास से बरामद विभिन्न दस्तावेजों, कागज और इलेक्ट्रॉनिक से ईडी को कुछ आंकड़े मिले हैं। जिससे यह पता चलता है कि नियुक्तियों के लिए उनके द्वारा कितने अभ्यर्थियों की सिफारिश की गयी थी। उन्होंने उनसे कितना पैसा वसूल किया था।
जांच अधिकारी अब मामले में अंतिम गिनती तक पहुंचने के लिए उपलब्ध आंकड़ों का मिलान करने की कोशिश कर रहे हैं। एक अन्य बिंदु जो जांच अधिकारियों को चकित कर रहा है, वह एक अन्य आरोपी और निष्कासित युवा कांग्रेस नेता कुंतल घोष का बयान है।
जिसने पूछताछ के दौरान दावा किया कि उसने 2014 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के लिए संग्रह रुपये के रूप में भद्र को 70 लाख रुपये दिए थे। उस राशि में से 10 लाख रुपये घोष ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को भादरा के एक निर्देश के बाद दिए थे।
ईडी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस मामले में घोष से वसूले गये बाकी के 60 लाख रुपये खुद भद्र ने अपने पास रखे थे या उन्होंने इसे किसी और को दे दिया था।