नए राज्यपाल के साथ बैठक के बाद बोले शिक्षामंत्री

नहीं दुहराया जाएगा धनखड़ का इतिहास

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कोलकाता : राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने मंगलवार को कहा कि बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ के कार्यकाल के दौरान देखी गई उथल-पुथल भरे संबंधों की पुनरावृत्ति की कोई संभावना नहीं है। राज्यपाल सीवी आनंद बोस के साथ बैठक के बाद ब्रात्य बसु ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार एक टीम के रूप में राजभवन के साथ मिलकर काम करेगी।

बता दें, हाल के दिनों में राज्यपाल सीवी आनंद बोस और सीएम ममता बनर्जी के बीच लगातार तकरार की खबरें आ रही हैं। राज्यपाल ने गृह राज्यमंत्री निशीथ अधिकारी पर हमले को लेकर रिपोर्ट तलब की थी। प्रधान सचिव की नियुक्ति को लेकर भी तकरार चल रहा है।

राज्यपाल द्वारा रिपोर्ट तलब किये जाने और मूकदर्शक नहीं बने रहने के बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र जागो बांग्ला में कहा गया था कि वर्तमान राज्यपाल धनखड़ के रास्ते पर चल रहे हैं।

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बंगाल के शिक्षा मंत्री ने कहा, मैं इसे अधिकार के साथ कहता हूं कि अतीत की पुनरावृत्ति का कोई मौका नहीं है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार और धनखड़ राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कई मुद्दों पर आमने-सामने थे।

ब्रात्य ने बार-बार यह बताने का प्रयास किया कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था में किसी भी तरह के टकराव का माहौल न बने, इसके लिए वे सदैव तत्पर रहते हैं।

दूसरी ओर, राज्यपाल ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए शिक्षा की आवश्यकता के बारे में बताया। हालांकि ब्रात्य बसु ने कहा, राज्यपाल सबके होते हैं, किसी राजनीतिक दल विशेष के नहीं। अगर कुछ बचा है तो वह है अतीत। यह एक नया समय है।

राज्यपाल बोस ने कहा कि राज्य और राजभवन के बीच संबंध रचनात्मक सहयोग का होना चाहिए। राज्यपाल और कुछ सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक के बाद उन्होंने कहा, शासन एक सतत प्रक्रिया है।

इसमें जांच और संतुलन, बीच में सुधार और सुधार होगा। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में टकराव की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, एक समय था, जब शिक्षा और संस्कृति के लिए बंगाल की पहचान हर जगह थी।

उस युग को फिर से वापस लाना चाहिए। हम शिक्षा प्रणाली में आगे देखेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की बात कही। आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में सबसे बड़ी भूमिका शिक्षा निभाएगी।

कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट का आदेश समस्याजनक था। इसलिए कुलपतियों ने आगे आकर अपना इस्तीफा सौंप दिया लेकिन वे सभी समझदार लोग हैं। इसलिए मैंने उनसे फिलहाल तीन महीने तक काम करते रहने का अनुरोध किया। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कुलपति की नियुक्ति का कार्य विधि के अनुसार किया जायेगा।