ब्यूरो रांची : देश भर में बाघों की गुर्राहट बढ़ी है। चार वर्ष में बाघों की संख्या 3682 पहुंच गई है, जबकि 2018 में यह संख्या 2967 थी। बाघों की संख्या में 715 की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही भारत दुनिया के लगभग 75 प्रतिशत बाघों का आवास बन गया है। देश में 785 बाघों के साथ मध्य प्रदेश अव्वल है और उसका टाइगर स्टेट का दर्जा कायम है। वही झारखंड के वन्य जीव प्रेमियों के लिए बुरी खबर है। एक ओर देशभर में जहां बाघों की संख्या बढ़ रही है, वहीं झारखंड में विलुप्त होने के कगार पर हैं। बाघ गणना-2022 के अनुसार झारखंड में मात्र एक बाघ होने की पुष्टि हुई है। चार वर्ष पहले 2018 की गणना में झारखंड में पांच बाघ थे। यानी चार साल में झारखंड में चार बाघ कम हो गए। देश में बाघों के संरक्षण के लिए 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था। उस समय देशभर में 9 टाइगर रिवर्ज थे, उनमें एक झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व भी था। दुखद बात यह है कि जहां सभी टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है, वहीं पीटीआर में विलुप्त हो चले हैं। प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 अप्रैल को बाघ गणना-2022 की रिपोर्ट जारी की थी। इसके अनुसार भारत में 3682 टाइगर हैं। 2018 में यह आंकड़ा 2967 था। वही अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी की तरफ से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने उत्तराखंड के रामनगर में राज्यवार आंकड़े जारी किए गए। इसके अनुसार झारखंड में सिर्फ एक बाघ होने की पुष्टि हुई है। जानकारी अनुसार पीटीआर निदेशक कुमार आशुतोष का दावा है कि जो एक बाघ मिला है वह पलामू टाइगर रिजर्व में है। एनटीसीए की ओर से जारी रिपोर्ट झारखंड के लिए चिंताजनक है।
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