रांची : झारखंड के पूर्व मंत्री सह बोकारो के पूर्व विधायक 81 वर्षीय समरेश सिंह का बोकारो स्थित आवास में निधन हो गया। सुबह करीब सात बजे उन्होंने सेक्टर चार स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
संयुक्त बिहार के वक्त दिग्गज राजनेताओं में गिने जाने वाले समरेश सिंह की तबीयत इसी महीने की 12 तारीख को अधिक बिगड़ने के बाद उन्हें पहले बीजीएच और फिर रांची स्थित मेदांता अस्पताल ले जाया गया था।
एक दिन पूर्व ही उन्हें रांची के मेदांता से बोकारो लाया गया था। तब डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को पहले से बेहतर बताई थी।
बोकारो जिले के ही चंदनकियारी प्रखंड के लालपुर पंचायत स्थित देवलटांड़ गांव में समरेश सिंह का पैतृक आवास है। फिलहाल चर्चा है कि यहीं उनका अंतिम संस्कार होगा।
निधन की खबर मिलने के साथ ही उनके आवास पर विभिन्न वर्गों के लोग व उनके समर्थक पहुंच रहे हैं। परिजनों में समरेश सिंह के दोनों बेटे सिद्धार्थ सिंह व संग्राम सिंह तथा पुत्रवधु श्वेता सिंह व परिंदा सिंह हैं।
समरेश सिंह का राजनीतिक सफर
समरेश सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्य में गिने जाते हैं। लोग इन्हें प्यार से दादा बोलते थे। भाजपा को कमल निशान देने का श्रेय इन्हीं को जाता है। बताया जाता है कि मुंबई में 1980 में आयोजित भाजपा के प्रथम अधिवेशन में कमल निशान का चिह्न रखने का सुझाव इन्हीं का था, जिसे केंद्रीय नेताओं ने मंजूरी दी थी।
1977 के चुनाव में कमल निशान पर ही इन इन्हें जीत मिली थी। बाद में समरेश भाजपा से 1985 व 1990 में बोकारो से विधायक निर्वाचित हुए।
इनके साथ इंदर सिंह नामधारी की जोड़ी खूब जमती थी।
दोनों ने मिलकर भाजपा से विद्रोह करते हुए 13 विधायकों के साथ संपूर्ण क्रांति दल का गठन किया था। हालांकि, कुछ ही दिनों के बाद संपूर्ण क्रांति दल का विलय भाजपा में कर दिया गया।
इसके बाद भी वह टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से अलग हुए थे। 2009 में झाविमो के टिकट पर विधायक बने। बाद में भाजपा में शामिल हो गये। पर 2014 में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय लड़े व हार गए थे।
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