फुटबॉल मैच और मेले में सज रही जुए की महफ़िल, सूदखोरों की चांदी

मुर्गा पाड़ा और हब्बा डब्बा के खेल में लोग गवां रहे अपनी गाढ़ी कमाई

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चाईबासा : अपने दिन भर की गाढ़ी कमाई एक झटके में लोग जुआ में हार रहे है।कुछ लोग शॉर्ट कट से पैसा कमाने तो कुछ जुआ से लखपति बनने कुछ अपनी किस्मत आजमाने तो कुछ आदत से मजबूर होकर जुआ अड्डों तक पहुंचते हैं। जुआ संचालक लोगों की इन भावनाओं से भली भांति परिचित है।पहले जुआ खेलने आए लोगों को कुछ जरूर जीतने का मौका दिया जाता है।फिर धीरे धीरे उनकी पूरी जेब खाली कर दी जाती है।जीत कर हारे ये लोग बगल में खड़े अवसर वादी सूद खोरों से सूद पर पैसा लेकर हारे रकम को वापस जीतने के चक्कर में सूद में ली गई उधारी को भी हार जाते हैं ।
उड़ीसा और झारखंड की सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रहा अवैध धंधा

चंपुआ आस पास फगु, अनंगा पढ़,मंगलपुर पुरुषोत्तम पुर आदि में तो हर हफ्ते जुआ की महफ़िल लगती है, इसके आलावा ग्रामीण क्षेत्र के छोटे बड़े साप्ताहिक हाटों ,मेला और फुटबॉल के मैचों में भी हब्बा डब्बा और मुर्गा पाड़ा का आयोजन हो रहा है।जहां मुर्गा की हार जीत पर तो लाखों तक की बाजी लगती है। बगल में हब्बा डब्बा का आयोजन होता है। जहां क्षेत्र के दिहाड़ी मजदूर,किसान और रोज कमाने खाने वाले अपनी दिन भर की मेहनत की कमाई को जुआ में हार कर खाली हाथ घर लौटते है। क्षेत्र में दूर दराज से लोग जुआ खेलने आ रहे हैं। झारखंड के नोआमुंडी, जामदा, किरीबुरू,झींकपनी, चक्रधरपुर आदि से लोग मुर्गा लड़ने और जुआ खेलने आते हैं।वहीं ओडिसा के जोड़ा, बड़बिल, बोलानी, केन्दुझर, अन्नंदपुर, राउरकेला बोनाई गढ़ आदि से भी लोग जुआ खेलने आते है। मुर्गा पाड़ा के बगल में हर तरह की देसी विदेशी और नकली शराब की दुकानें सजी होती है।जहां जीतने वाले जीत की खुशी में तो हारने वाले हार का गम भुलाने को शराब का जाम थामते है।

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