मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले रिजर्व बैंक ने वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वृद्धि दर के अनुमान में कमी के बावूजद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच इसे उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने सितंबर में भी वृद्धि दर का अनुमान घटाया था। वहीं, विश्व बैंक ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है।
रेपो दर 0.35 प्रतिशत बढ़ी
RBI ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो 0.35 प्रतिशत और बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करने का निर्णय किया। RBI ने वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच मुद्रास्फीति को काबू में लाने के मकसद से यह कदम उठाया है।
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए GDP की वृद्धि दर के अनुमान को 7 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। रेपो दर में वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी।
मौद्रिक नीति समिति (MPS) की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए MPS ने नीतिगत दर रेपो 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।’
RBI मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस साल मई से लेकर अबतक 5 बार में रेपो दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।
दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.7 प्रतिशत पर रहेगी। यह केंद्रीय बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से अधिक है। उन्होंने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची बनी हुई है। ऐसे में मौद्रिक नीति के स्तर पर सूझ-बूझ की जरूरत है।