बेगूसराय : केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर पांच दशक से लंबित बरौनी-हसनपुर रेल परियोजना के क्रियान्वयन का अनुरोध किया है। इसके लिए भाजपा के जिला महामंत्री कुंदन भारती ने पत्र लिखकर गिरिराज सिंह से मांग किया था। पत्र में कहा गया है कि 45 किलोमीटर लंबे बरौनी-हसनपुर रेल लाइन के लिए 50 वर्ष पहले रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र ने इस परियोजना का सपना देखा था। 2002 में रेलमंत्री रामविलास पासवान ने इस रेल परियोजना की घोषणा की। भारत सरकार के कई रेल मंत्री ने इस परियोजना में रूचि रखते थे। 2012-13 में बरौनी-हसनपुर रेल परियोजना को रेल बजट में जगह मिला, सर्वे का टेंडर भी 2013-14 में निकला।
एशिया प्रसिद्ध काबर झील के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए रेल परियोजना को प्रस्तावित किया गया था। जिससे पर्यटन के क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। उल्लेखनीय है कि 1970 के दशक में रेल मंत्री बने ललित नारायण मिश्र ने बरौनी से जयमंगलागढ़ होते हुए हसनपुर तक रेल लाइन बनाने का सपना देखा था। 1973 में ललित नारायण मिश्र जब रेलमंत्री बने तो उन्होंने बरौनी से हसनपुर तक रेल लाईन बिछाने का प्रस्ताव रेल मंत्रालय और केन्द्र सरकार को भेजा। लेकिन तीन जनवरी 1975 को उनकी हत्या के बाद यह परियोजना ठंडे बस्ते में चल गया। इसके लिए डॉ. भोला सिंह और रामजीवन सिंह ने संसद में कई बार सवाल उठाए। इसके बाद बरौनी-हसनपुर परियोजना में सुगबुगाहट शुरू हुई और 2012-13 के रेल बजट में इस रेलखंड के सर्वे का टेंडर पास हुआ तथा बीच में कई झंझवातों से गुजरते रहा। 2020 में राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने सदन में सवाल उठाया तो सर्वेक्षण कार्य में तेजी आई और पूरा कर रिपोर्ट भेजा गया।
विगत मार्च में भी गिरिराज सिंह ने इस मुद्दे पर रेल मंत्री से मुलाकात की थी। 2022 में समस्तीपुर में आयोजित रेलवे संसदीय समिति की बैठक में सांसद महबूब अली ने मामले को उठाया तो रेलवे द्वारा लिखित जवाब दिया गया है कि फंड के अभाव में यह कार्य लंबित है। ऐसे में लोगों को निराशा तो हुई, लेकिन गिरिराज सिंह द्वारा एक बार फिर पहल किए जाने से उम्मीद है कि पहल हो जाए। सर्वेक्षण के मुताबिक 45.38 किलोमीटर की इस रेल परियोजना पर करीब 1470 करोड़ रुपया खर्च होने का अनुमान है। बरौनी जंक्शन से हसनपुर जंक्शन के बीच गौड़ा, तेयाय, भगवानपुर दहिया, चेरिया बरियारपुर, जयमंगला गढ़ एवं गढ़पुरा में रेलवे स्टेशन तथा मंझौल में हॉल्ट बनाने की योजना है। प्रस्तावित रेलखंड पर एक भी गुमटी नहीं होगा और पांच बड़े पुल, 38 छोटे पुल रेलवे गुमटी के बदले 20 सब-वे एवं दो रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) का निर्माण होगा।
सब-वे की ऊंचाई सात मीटर रहेगी, ताकि वाहन आसानी से आ-जा सके। जबकि दो रेल ओवर ब्रिज राष्ट्रीय उच्च पथ-28 पर स्टेट हाईवे-55 पर बनाने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित रेलवे लाइन पहले काबर झील से गुजरने वाली था। लेकिन काबर झील में आने वाले देसी-विदेशी पक्षियों के कलरव में रेल परिचालन के कारण उत्पन्न होने वाली बाधा तथा रामसर साइट के अंतरराष्ट्रीय पहचान के मद्देनजर अब रेलवे लाइन को झील से करीब तीन किलोमीटर दूर बेगूसराय-मंझौल-हसनपुर सड़क के पूर्वी ओर से ले जाया जाएगा। रेल यात्री संघर्ष समिति से जुड़े राजीव कुमार एवं मुकेश विक्रम का कहना है कि इस रेल लाइन के निर्माण से एक ओर बिहार के इकलौते रामसर साइट काबर झील पक्षी विहार के पर्यटन को राष्ट्रीय स्तर पर गति मिलेगी। दूसरी ओर बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों का पड़ोसी देश नेपाल से रेल संपर्क हो जाएगा।
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