राज्यपाल का फैसला म्यूजिकल चेयर जैसा : ओमप्रकाश

कुलपति नियुक्त करने के मामले में की टिप्पणी

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कोलकाता: नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति ओमप्रकाश मिश्रा ने पहले कुछ कुलपतियों द्वारा राज्यपाल सीवी आनंद बोस को भड़काने का विरोध किया था। उसके बाद वे एक बार फिर राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर हमला करते हुए कहा कि पूरे राज्य में उच्च शिक्षा व्यवस्था में चरम गतिरोध की स्थिति बन गयी है। किसी भी सरकारी विश्वविद्यालय में कुलपति तो क्या अंतरिम कुलपति भी नहीं है।

उन्होंने कहा कि आचार्य ने विश्वविद्यालय के मामलों को संभालने के लिए 13 प्रोफेसरों को नियुक्त किया है लेकिन यह स्थाई नियुक्ति नहीं है। उन्होंने यह भी संदेश दिया कि शिक्षा एवं विद्यार्थियों के हित को किसी भी प्रकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उनके मुताबिक, इस स्थिति से उबरने के लिए नकारात्मक भूमिका की नहीं, बल्कि रचनात्मक भूमिका की जरूरत है।

वहीं, प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष और कल्याणी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गौतम पाल ने एक बार फिर विश्वविद्यालय के स्वशासन का आह्वान किया। उनके मुताबिक मौजूदा स्थिति अभूतपूर्व है। उन्होंने पिछले वर्षों में, खासकर 2011-23 के बीच राज्य में शिक्षा प्रणाली में हुए आमूल-चूल बदलावों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 2011-23 में उच्च शिक्षा में अभूतपूर्व प्रगति हुई।

20 नये विश्वविद्यालय बनाये गये हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा है। छात्र नामांकन दर में वृद्धि हुई है। ड्रॉप आउट दर में कमी आई है। उन्होंने यह भी समझाने की कोशिश की कि राज्य सरकार हमेशा विश्वविद्यालय की स्वायत्तता के पक्ष में है। राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय के स्वशासन में कभी हस्तक्षेप नहीं किया है। कुलपति और प्रतिकुलपति की नियुक्ति को छोड़कर सभी व्यवस्थाएं विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद द्वारा की जाती हैं। गौरतलब है कि नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति ओमप्रकाश मिश्रा ने पहले कुछ कुलपतियों द्वारा राज्यपाल सीवी आनंद बोस को भड़काने का विरोध किया था।

उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भड़ास निकाली थी। इस बार इस पूर्व वीसी पर भ्रष्टाचार और गबन के आरोप लगे हैं। राजभवन ने इसकी जांच के लिए जांच कमेटी के गठन का आदेश दिया। नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में सुबीरेश भट्टाचार्य की गिरफ्तारी के बाद राज्यपाल ने ओमप्रकाश मिश्रा को कुलपति नियुक्त किया था। बाद में देखा गया कि राज्यपाल ने ओमप्रकाश मिश्रा का कार्यकाल नहीं बढ़ाया। हाल ही में देखा जा रहा है कि राजभवन की इन गतिविधियों के खिलाफ ओमप्रकाश मिश्रा और अन्य पूर्व वीसी आवाज उठा रहे हैं।