ज्ञानवापी केस: HC का बड़ा फैसला, शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करने के दिए आदेश

'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग करने की अनुमति दी है

90

वाराणसी। वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। HC ने एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को कैंपस में पाए गए ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग करने की अनुमति दी है। हालांकि, स्ट्रक्चर में किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाने का भी निर्देश दिया है।

यह भी पढ़े: कलयुगी चाचा ने 6 साल की भतीजी से Rape कर की हत्या, कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच और साइंटिफिक सर्वे की मांग को लेकर दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है और एएसआई को बिना क्षति पहुंचाये शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच करने का आदेश दिया है। वाराणसी की अधीनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट की यथास्थिति कायम रखने के आदेश के चलते कार्बन डेटिंग जांच कराने से इंकार कर दिया था, जिसे चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने वाराणसी की अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है। यह आदेश जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र ने लक्ष्मी देवी और अन्य की याचिका पर दिया है।

बता दें कि इस याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय ने पक्ष रखा। याचिका पर अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से एसएफए नकवी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बगैर कार्बन डेटिंग से जांच की जा सकती है। क्योंकि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चलेगा। एएसआई ने कहा- बिना क्षति शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है।

बता दें कि ज्ञानवापी परिसर में कमीशन कार्यवाही की गई थी। इस दौरान 16 मई 2022 को कैंपस में कथित शिवलिंग पाया गया था, जिसका एएसआई से साइंटिफिक सर्वे कराए जाने की मांग को लेकर जिला अदालत वाराणसी में वाद दाखिल किया गया था। हालांकि जिला कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रही है। ऐसे में सिविल कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है।

बाद में जिला जज के अर्जी खारिज करने के आदेश को 14 अक्टूबर 2022 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई है, जिसे कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस के बाद स्वीकार कर लिया है।

आइए अब जानें क्या होती है कार्बन डेटिंग?

कार्बन डेटिंग क्या होती है? हमारे वायुमंडल में कार्बन के तीन आइसोटोप्स हैं। जो धरती के विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाओं का हिस्सा होते हैं। ये आइसोटोप्स हैं- पहला कार्बन 12 यानी कार्बन डाईऑक्साइड।  दूसरा कार्बन 13 और कार्बन 14 । कार्बन डेटिंग के लिए जरूरत होती है कार्बन 14 की। क्योंकि बाकी दोनों आइसोटोप्स जमीन और वायुमंडल में आसानी से मिल जाते हैं। जबकि कार्बन 14 मुश्किल से मिलता है। उसकी जांच करनी पड़ती है। कार्बन 14 की मात्रा भी ईंधन जलने से बढ़ती है। लेकिन बेहद कम। कार्बन डेटिंग के जरिये कार्बन-12 और कार्बन-14 के बीच अनुपात निकाला जाता है। कार्बन-14 एक तरह से कार्बन का ही रेडियोधर्मी आइसोटोप है, इसका अर्धआयुकाल 5730 साल का है।